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शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

स्मृतियाँ

 



जीवन तांता है

अनेकों स्मृतियों का

स्मृतियों में

अस्तित्व तलाशने का


स्मृति,

सुने और पढे का सरंक्षण है

ज्ञान व बौद्धिक क्षमता का

परिचायक है  स्मृतियाँ

स्मृतियाँ संग्रहित है

सुख दुख का सार लिए

अच्छे बुरे का रूप लिए

कर्म व अपराध का

बोध कराती है स्मृतियाँ

भूल जाएँ अगर स्मृतियाँ

रंगहीन होगा सबका जीवन

वर्तमान को सँजोती है स्मृतियाँ



किन्तु

मस्तिष्क का 

स्मृतियों पर नियंत्रण है

क्या भूलें क्या याद रखे

मस्तिष्क निर्धारण करता है

और संचालित करता है

क्रिया व प्रतिक्रिया का भाव

द्वेष व सदभाव को

मस्तिष्क ही स्फ्रुटित करता है


स्मृतियों के जाल को मस्तिष्क

बड़े जतन से संभाल कर रखता है

और एकांत हो चाहे शोर ज़िंदगी का

बस चुपके से सरका कर स्मृतियों को

सीधा प्रसारण कर देता है मस्तिष्क



प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल २०/११/२०२०





गुरुवार, 19 नवंबर 2020

भूल न पाये उनको



समय अपना दिया हमने जिनको

समय ने न जाने कब से बदल दिया उनको

सच कहूँ भूल न पाये हैं हम उनको

 

ख्यालों में भी ख्याल था जिनका

इस राह में हमारा ख्याल भी न आया उनको

सच कहूँ भूल न पाये हैं हम उनको

 

तोड़कर रिश्ता मुस्कराते हैं वो

नम आँखों में उभरा दर्द मेरा न दिखा उनको

सच कहूँ भूल न पाये हैं हम उनको

 

न मिलते वो तो अच्छा होता

अब प्यार से इतनी नफरत न होती हमको

सच कहूँ भूल न पाये हैं हम उनको

 

टूट कर चाहना हसरत थी

इस राह में चाहा भी हमने और टूटे भी हम

सच कहूँ भूल न पाये हैं हम उनको

 

ढूंढते हैं सब में हमको ही

यह पैमाना मोहब्बत का हमने दिया है उनको

सच कहूँ भूल न पाये हैं हम उनको

 

कभी मुस्करा जाते है हम 'प्रतिबिंब'

दर्द छुपा-छुपा कर भूल न पाये हैं हम उनको

सच कहूँ भूल न पाये हैं हम उनको

 

-         प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल १९/११/२०२०


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