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मंगलवार, 13 दिसंबर 2016

रुक




रुक .....

रुक, जाते कहाँ हो,
माना कि अब
दिल मुझसे भर गया है
लेकिन कुछ तो
अभी भी मेरे लिए होगा
तेरे दिल में
कुछ अधूरा सा प्यार
या पूरी तरह नफ़रत

कुछ पल ही सही
तू ठहर भी जा
न जाने फिर
कब मुलाक़ात होगी
कब तुमसे फिर बात होगी
ज़रा रुक कुछ कहने सुनने से  
शायद तुम समझ पाओगे
या मैं समझ पाऊंगा
टूटते रिश्ते की हकीकत

मुझमें लाख कमी सही
पर तुझमें भी धैर्य नहीं
साथ न सही
आ किनारा बन जाओ
सूखी दरिया को
एहसासों से लबालब भर दे
हमारे रिश्ते को
इन्हीं किनारों में
समेट ले
बाकी हमारी किस्मत


-          प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
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