राष्ट्र्धव्ज को करें प्रणाम
कर वंदन भारत माँ का
राष्ट्रध्वज को करें प्रणाम
है राम कृष्ण की पावन भूमि
भगत सिंह सा यहाँ बलिदानी
पुण्य भूमि, जन्म भूमि ये मेरी
मातृभूमि का है इतिहास पुराना
कर वंदन भारत माँ का
राष्ट्रध्वज को करें प्रणाम
राष्ट्रध्वज को करें प्रणाम
है राम कृष्ण की पावन भूमि
भगत सिंह सा यहाँ बलिदानी
पुण्य भूमि, जन्म भूमि ये मेरी
मातृभूमि का है इतिहास पुराना
कर वंदन भारत माँ का
राष्ट्रध्वज को करें प्रणाम
कश्मीर से कन्याकुमारी कद इसका
गुजरात से बंगाल तक सीना इसका
गंगा यमुना इसके रग में बहती
हिंद महासागर चूमता इसके चरण
कर वंदन भारत माँ का
राष्ट्रध्वज को करें प्रणाम
आतिथ्य और प्रेम यहाँ है भाषा
गुरु परम्परा को करता विश्व प्रणाम
वसुदेव कुटुम्बकम का प्राण लिए
उन्मुक्त तिरंगा करे अभिमान
कर वंदन भारत माँ का
राष्ट्रध्वज को करें प्रणाम
गुरु परम्परा को करता विश्व प्रणाम
वसुदेव कुटुम्बकम का प्राण लिए
उन्मुक्त तिरंगा करे अभिमान
कर वंदन भारत माँ का
राष्ट्रध्वज को करें प्रणाम
सुभाष, सावरकर सा खून लिए
विवेकान्द सा करता कोई अगुवाई
रामायण गीता का होता अनुसरण
मेरे तिरंगे का शौर्य महान
कर वंदन भारत माँ का
राष्ट्रध्वज को करें प्रणाम
तीन रंगो में रंगा तिरंगा हमारा
हर भारतीय का इसमें गौरव है
संस्कृति शांति विकास का है धोतक
कर्तव्य हमारा करना इसका सम्मान
कर वंदन भारत माँ का
राष्ट्रध्वज को करें प्रणाम
अलग भाषा, धर्म, जात चाहे हो प्रांत
एक राष्ट्रध्वज बनता हमारी पहचान
अनेकता में एक्य मन्त्र बन कर नारा
एक स्वर निकले झंडा ऊँचा रहे हमारा
कर वंदन भारत माँ का
राष्ट्रध्वज को करें प्रणाम
वीरों के तन से लिपट कर
सम्मान कर्तव्यनिष्ठों का करता है
बलिदानों का बन कर गवाह
लहर - लहर राष्ट्रध्वज लहराता है
कर वंदन भारत माँ का
राष्ट्रध्वज को करें प्रणाम
सजग प्रहरी भारत का सेनानी
दुश्मन को मुँह तोड़ देता जबाब
वीरगति होता कुछ का पुरुस्कार
बना रहता है तिरंगे का अभिमान
कर वंदन भारत माँ का
राष्ट्रध्वज को करें प्रणाम
कर्तव्य बोध ही है सर्वोतम
भाग्य भरोसा नहीं, कर्मठता पहचान
स्वाभिमान और अस्मिता संग
राष्ट्रध्वज की गरिमा है अपनी शान
कर वंदन भारत माँ का
राष्ट्रध्वज को करें प्रणाम
संस्कृति सभ्यता की अपनी धरोहर
जन गण मन है इसका गान
विश्वगुरु का परचम हो पुनर्स्थापित
हमें समृद्ध, श्रेष्ठ भारत बनाना है
कर वंदन भारत माँ का
राष्ट्रध्वज को करें प्रणाम
जन गण मन है इसका गान
विश्वगुरु का परचम हो पुनर्स्थापित
हमें समृद्ध, श्रेष्ठ भारत बनाना है
कर वंदन भारत माँ का
राष्ट्रध्वज को करें प्रणाम
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल, १४ अगस्त २०२१