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सोमवार, 16 अप्रैल 2012

प्यार में ........ कोई




प्रेम का क्या मोल दे सकता है  कोई
इस में तो बेदाम बिकता है हर कोई

इश्क़ में आसानी से गिरफ्तार हुआ कोई
करके सैकड़ो जतन, तब पाता इसे कोई

प्यार संग दुनिया की परवाह नही करता कोई
अपनों को ले संग, प्यार की राह चलता कोई

शौक से अब सजने सँवरने लगता है कोई
ये पल यहीं थम जाये दुआ करता है कोई

ख्याल उसके इर्द - गिर्द बुनता कोई
शोर में भी उसकी आहट सुनता कोई

प्यार को कई  नाम दे देता है कोई
एक ही नाम से खुश रहता है कोई

इंकार  इकरार का लुत्फ लेता है कोई
खुशी - गम का हिसाब रखता है कोई

तनहाई में बेसब्र हुआ जाता है कोई
आंखे मूँदकर यादों में खोया है कोई

उससे मिलन की आस बढ़ा जाता है कोई
बिछुड़ने के डर से ही घबरा जाता है कोई

कानो में पायल की झन्कार सुनता है कोई
महक हर पल उसकी महसूस करता है कोई

दूर रहकर भी पास उसे अपने पाता है कोई
पास रहकर भी उसी के ख्याल में गुम है कोई

संदेश लिखकर इंतज़ार फिर करता है कोई
इंतज़ार में उसके प्रेम गीत लिखता है कोई

मोहब्बत को इबादत समझ पूजता है कोई
पाकर प्यार को, खुद पर इठलाता है कोई

बारिश में भीग तन मन भिगो रहा है कोई
हर मौसम में मोहब्बत को जी रहा है कोई  

नाम संग तब्बसुम बिखेर देता है कोई
छू लेने भर से ही पिघल जाता है कोई

खामोशी में भी उसे गुदगुदा जाता है कोई
छेड़ कर, गालो को लाल कर जाता है कोई

प्रेम के प्याले आंखो से पिलाता है कोई
झील सागर कह इनमे डूब जाता है कोई

चाँद से बात व शिकायत करता है कोई
सितारो को भी हमसफर बनाता है कोई

दिन में भी ख्वाब सजाने लगता है कोई
रातों को ख्वाब पूरे करने लगता है कोई

बैठ बगिया में, बाहें  डाल  बतिया रहा कोई
हाथो में ले हाथ, अपनों से वादा ले रहा कोई

सहला कर बाल, अंगुलियाँ फेर रहा है कोई
मिटा कर नाम बार - बार लिख रहा है कोई

अहसास संग अपनी नीद उड़ा रहा है कोई
पाकर साथ नींद में भी मुस्करा रहा है कोई

कभी चैट तो कभी फोन पर  इश्क लड़ा रहा कोई
करके मीठी मीठी बातें मोहब्बत समझा रहा कोई  

छोटे बड़े तौहफ़े देकर प्यार जता रहा है कोई
देकर  गुलाब दिल से दिल मिला रहा है कोई  

अपनों से ही सब बातें छिपाने लगा है कोई
हो  कर मगन गीत  गुनगुनाने लगा है कोई

कुछ याद आते ही अंगड़ाई लेता है कोई
कुछ  सोच  कर ही शरमा जाता है कोई

तन से  मिलन के साज छेड़ता है कोई
साज पर मिलन की धुन गाता है कोई

अहसास एक होने का पल समेटता है कोई
तृप्त हुआ तन - मन लबों से बताता है कोई

प्रेम रंग में रंग अपने रंग भर देता कोई
इस रंग मे रंग कर भी छुपा लेता है कोई

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
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