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सोमवार, 19 अक्टूबर 2020

~ये कतरनें~

 










वर्षो पहले

जब तब


कुछ देखा

कुछ सोचा

कुछ भाव

कुछ चाह

कुछ खोया

कुछ पाया

कुछ अनकहा


कोई हार

कोई जीत

कोई निवेदन

कोई अवसर

कोई घटना

कोई दुआ

कोई दवा


कभी प्यार

कभी घृणा

कभी रोष

कभी जोश

कभी अंहकार

कभी स्वीकार

कभी आक्रोश


ये कतरनें

ढ़ोती रही

कलम प्रहार

सहती रही

हर खरोच

फिर भी

मेरा लिखा

बन सखा

बन विश्वास

मेरे संग

चलती रही

ये कतरनें


-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल १९\१०\२०२०


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