तस्वीर क्या बोले समूह में एक चित्र पर मेरे भाव मित्रो के साथ
शंख ध्वनि का गूंजता मधुर घोष
प्रभा - रशिम हरती अंधकार दोष
नभ से बिखरता स्वर्णिम प्रकाश
वर - वधु से सजे धरती व् आकाश
पुण्य प्रभात से सजी हुई मधुर बेला
इन्द्रधनुषी किरणों सा रंग है फैला
शाखों पर लगा गहनों का सा मेला
रोमांचित मन झूले सावन सा झूला
सौम्य रूप लिए पूषण की शीतलता
सूर्य की प्रकृति से दिखे सन्निकटता
उदृत हो जब क्षितिज पर रूप बदलता
'प्रतिबिम्बित' होती भानू की चंचलता
-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
पूर्व प्रकाशित http://tasveerkyabole.blogspot.ae/2014/12/4-2014.html