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बुधवार, 25 मई 2022

काश....

 




अपने राष्ट्र का मान - सम्मान जिनको नहीं आता

वो लोग स्वयं को भारत का शहंशाह समझते हैं 

चले थे जो भी, जलाने स्वाभिमान मेरे भारत का 

इतिहास गवाह है, वो यहाँ पर खुद राख हो गए  


है सत्य, सनातन जड़ो को कोई मिटा नहीं सकता

उनके आकाओं को काश ये बात समझी होती

हिंदुस्तान की श्रेष्ठता को आज दुनिया है मानती

सम्मान भारत का मंदबुद्धि “काश” समझ पाती


लोकतंत्र में सार्थक विरोध सही और आवश्यक है 

लेकिन राष्ट्रहित जो समझे वही असली नायक है 

विरोध व्यक्ति का यहाँ जिनके दिमाग में छाया है 

भारतियों ने ही उन्हें बार - बार वोट से समझाया है 


राष्ट्र प्रेम में सत्तापक्ष या विपक्ष नहीं है देखा जाता

तिरंगे की आन, बान और शान से है इसका नाता 

‘प्रतिबिम्ब’ ने समझा, तुम्हें क्यों समझ नहीं आता

सत्ता क्षणिक, राष्ट्र सर्वोपरि काश वो समझ पाता   




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