नव प्रभात में
सपन सलोने
नव प्राण
फूंकती सांस लिए
नव दिन के गौरव
में
नव लक्ष्य का
संकल्प लिए
चल पड़ा हूँ .....
नव प्रभात की ले
किरण
नव चेतना का
आभास लिए
नव संगम तन मन
में
नव सृजन का
अंकुर लिए
चल पड़ा हूँ
.....
नव प्रभात की
स्वर्णिम बेला
नव जन्म सा
उल्लास लिए
नव छंद नव
परिवेश में
नव शक्ति का
संचार लिए
चल पड़ा हूँ ......
नव प्रभात ज्यूं
हरे अंधियारा
नव जीवन में
प्रकाश लिए
नव पुष्प की नव
गंध में
नव शोभ की महक
लिए
चल पड़ा हूँ
.....
नव जागरण की
जला मशाल
नव योजन का
प्रण लिए
नव उदृत नव्य परिभाषा
में
नव समाज का
दृग्विषय लिए
चल पड़ा हूँ .....
नव विचार का
फूक मंत्र
नव कुंज की सुषमा
लिए
नव चिंतन की प्रत्याशा
में
नव प्रीत की रीत
लिए
चल पड़ा हूँ
.....
नव ज्योति का
हुआ उदय
नव परिचय की आस
लिए
नव घोष दिया नविश्ता
में
नव परमतग्राही
सा ध्येय लिए
चल पड़ा हूँ
.....
नव बाधा का कर
संहार
नव मार्ग की
तृष्णा लिए
नव अर्थ के ‘प्रतिबिम्ब’
में
नव आनंद की उमंग
लिए
चल पड़ा हूँ
.....
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल २५/४/२०१६