पृष्ठ

शुक्रवार, 31 मार्च 2017

~वो अलविदा कहने आये हैं ...~



किस्मत का किया था शुक्रिया 
जब उनसे हमारी पहली मुलाक़ात हुई थी 
ख़ुशी बनकर साथ चले लेकिन 
भूल गया था किस्मत बदलते देर नहीं लगती

इन रिश्तों की अजब कहानी
याद करें न कोई हमें, फिर भी इंतज़ार रहता है
नम आँखे झूठ बोलती नहीं
दर्द दिया जिसने, वही दुआओं में मेरी रहता है

सिखाया था हमने प्यार जिन्हें
वे जमाने से, गजब की बेरुखी सीख कर आये है
हद तो तब हो गई यारों
जब वो सीख कर, हम पर ही आज़माने लगे है

दिल को कई बार तसल्ली देता हूँ
लेकिन उसे हौसला देते हुए, दिल रो पड़ता है
खोलूँ कैसे 'प्रतिबिम्ब', ये बंद दरवाज़ा
जबकि जानता हूँ वो अलविदा कहने आये हैं

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ३०/३/२०१७

मंगलवार, 28 मार्च 2017

~हालात की नज़र~




हमें जिन्दा देख कर हैरान है अपना कहने वाले
दर्द में हमें देख कर भी बहुत है नज़र फेरने वाले

वक्त के दर्द का घाव अंदर ही अंदर रिसता रहा
उभरती हुई हसरतो को बेपनाह दर्द मिलता रहा

मैंने लगा लिया गले जो आज तक वक्त ने दिया
वक्त की मजबूरियां होगी जो उसने हँसने न दिया

अस्तित्व मेरा स्वयं खुश रहने की कला सीख रहा है
वरना यहाँ बिगड़े हालात पर खुश होने वाले बहुत है

जानता हूँ एक दिन किस्मत अपनी खिल खिलायेगी
मगर 'प्रतिबिंब" तब तक कई रिश्तों की विदाई हो जायेगी

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल २७/३/२०१७ 
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...