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शनिवार, 14 जुलाई 2012

मेरा आज का परिचय




मैं तो अपने घर मे सकुशल रहता हूँ 
आस - पास जो होता है देखता रहता हूँ
कभी गुस्सा तो,  कभी प्रेम जतला देता हूँ
तर्क - वितर्क भी अब मैं अच्छा कर लेता हूँ 
सबको कर्तव्य पाठ पढ़ा,वहाँ हिस्सा बन जाता हूँ
कभी तो कुतर्क का सहारा भी ले बात कह देता हूँ
कभी हाँ मे हाँ मिला, कभी ना मे ना मिला लेता हूँ
कभी अपने समाज को कभी एक वर्ग को कोस लेता हूँ
कभी आज़ादी के नाम पर जो मन मे आए वो करता जाता हूँ
कभी बदलाव के नाम जो आज़ादी दे वो सभ्यता अपना लेता हूँ
खुद कुछ कर नही पाता इसलिए उम्मीद व आशा दूसरों से रखता हूँ
अपने संस्कार और संस्कृति को कोस मैं अब 'लिबरल' कहलाता हूँ
कुछ बाते अपने फायदे की यहाँ वहाँ से उठा तोड़ मोड लेता हूँ
सीखा कुछ नही उनसे पर अपवाद को ढाल बना जी लेता हूँ
अत्याचार सहन नही लेकिन हो तो गूंगा-बहरा बन जाता हूँ
सरकार, राजनीति व नेताओं को मौका मिले कोस लेता हूँ
भ्रष्टाचार से खफा पर अपना काम करवाने रिश्वत देता हूँ
देश मे बढ़ रहे अपराधो को देख, मैं चिंता कर लेता हूँ
अपना काम निकाल कर फिर मैं सभ्य बन जाता हूँ
बिन सच जाने मैं केवल भीड़ बन तमाशा देखता हूँ
आज मित्रों मैं खुद से खुद का परिचय दे रहा हूँ

प्रतिबम्ब बड़थ्वाल 
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