कठिन परिस्थितियों संग
जवानो ने दुश्मन के हर वार झेले
देश की आन बान शान के लिए
ये जाबांज जान हथेली पर लेकर चले
दुश्मनों को मुंह तोड़ जबाब देने
ये दिलदार सर पर कफ़न बाँध कर चले
कभी अपनी टुकड़ियों के साथ
मौका मिला तो दुश्मन से लड़ते रहे अकेले
घर परिवार को छोड़ कर
भारत माँ के लिए रण बाँकुरे मरने मिटने चले
शौर्य बलिदान की रख मिसाल
कोई डटा मैदान में, कोई घायल कोई शहीद हो चले
धर्म जात पात की सोच नही
हर सिपाही भारत माँ के सच्चे सपूत बन कर चले
ज़ज्बा तिरंगे की खातिर दिखता है
दुश्मन को मार भगा इसमें लिपट दुनिया छोड़ चले
शहीदों की चिताओ पर
क्या लगते रहेंगे यूं ही हर वर्ष मेले
ख़ास दिन क्यों याद करे इन्हें 'प्रतिबिंब'
आओ रोज उनकी कुर्बानी का अहसास करते चले
bharat mata kee jay
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