तेरी तस्वीर से जब
मुलाकात होती है
मेरे गीतों में लिपटी इश्क की बंदिश लगती है
थिरकती मुस्कान लेकिन होंठो की तपिश लगती है
तन मन से उभरी अधूरी ख्वाइश सी लगती है
मचल रहे अहसास जैसे मर्यादा तोड़ रहे है
हरियाली इश्क की जैसे तुझे मुझसे जोड़ रही है
कुछ तो बात है तस्वीर में जो हवा का रुख मोड़ रही है
आगोश में सिमटे है जज्बात, हार जीत की होड़ मची
है
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी टिप्पणी/प्रतिक्रिया एवम प्रोत्साहन का शुक्रिया