पृष्ठ

गुरुवार, 24 मार्च 2016

स्मृति का दिया ...





मेरी स्मृति का एक जला कर दिया
जलती लौ से रोशन खुद को तुम कर लेना
हो पीड़ा मन के किसी कोने पर अगर
चंद पुष्प भावो के महफ़िल में अर्पण कर देना

रंग चटक जीवन के तुम अपनाकर
यादो से मेरी दूरी बना, आज में पनाह ले लेना
चेहरे की नफरत को शृंगार से छिपाकर
दुनियां के लिए तस्वीर मेरी दीवार पर सजा देना

यूं तो यादे किसी मेहमान सी आयेंगी
पहचानती नही हो कहकर तुम उनसे विदा ले लेना
नया वक्त यूं तो फुरसत मिलने की न देगा
साजिश अगर हो भी गई तो आंसू दो चार बहा देना

उम्मीदों का कारवां अंत तक चलता रहा
किसी मोड़ पर नज़र आये तो राह अपनी बदल लेना
गुम एहसास और शिकायत हम सफर थे
आये कोई खबर उनकी तो पता अपना तुम बदल लेना

सुनो प्यार को अब कसमो वादों में न ढूंढना
हिम्मत कर उसे तुम जीने का सलीका बना लेना
साथ 'प्रतिबिंब' तुम्हारा हर ठोकर से बचा लेगा
साथ न भी सही मगर आंसू गम के तेरे चुरा लेगा 


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल  २४/३/२०१६ 

मंगलवार, 22 मार्च 2016

हम तुम खेलें ऐसी होली




सज धज कर धानी चुनरी ओढ़ आना  
मगन रह प्रेम रंग में सिंदूरी शाम तक
बंधन तन मन का जन्मों का साथी बना लेना
चल प्रिये हम तुम खेलें ऐसी होली

कर आना अतीत का तुम विसर्जन
निर्विकल्प आनंद का एहसास लिए
होकर समर्पित तन मन तुम मेरा रंग देना
चल प्रिये हम तुम खेलें ऐसी होली

मद भरे नयनो की मस्ती संग
चैत फागुन की तुम शरारत लिए  
प्रीत गुलाल सी तन मन पर सजा लेना
चल प्रिये हम तुम खेलें ऐसी होली

मिलन की चाह लिए व्याकुल मन
अधर संग सांस सांस भी मचल रही
रंग अपना, मेरे तन मन में बिखरा देना   
चल प्रिये हम तुम खेलें ऐसी होली

न टोकना तुम मुझे न टोकूंगा मैं तुम्हे
रंग देना अरमान, अर्पण कर प्रेम सारा
भर पिचकारी प्यार की तन मन रंग देना
चल प्रिये हम तुम खेलें ऐसी होली 

शर्म हया को तुम छोड़कर आना
संकलिप्त होकर रंग में मेरे रंग जाना
प्रेम रंग से तन मन पर हस्ताक्षर कर देना
चल प्रिये हम तुम खेलें ऐसी होली

हृदय सहित अंग अंग भिगो जाना  
पूर्णता का एहसास लिए प्रेमरस पी लेना
मधुर तरंग प्रेम की तन मन में छिपा देना
चल प्रिये हम तुम खेलें ऐसी होली
-        
             प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल २२/३/२०१६ 

कुछ भी हो सकता है...





दुनिया में मुश्किल से मिलते है दोस्त
वो दोस्त अगर दुश्मन बन जाए तो समझो
कुछ भी हो सकता है

दुनिया के दिए दर्द से निजात दिलाने के लिए
कोई फ़रिश्ता जिन्दगी में खुद आ जाए तो समझो
कुछ भी हो सकता है

पिला रहे है जाम अपने ही मिलकर
वो जाम ही अगर जहर बन जाए तो समझो
कुछ भी हो सकता है

जो सुकून खोया कुछ पाने के लिए
वो सुकून ही अगर कहर बन जाए तो समझो
कुछ भी हो सकता है

इबादत कर रहा किसी शख्स के लिए  
वो इबादत जब गुनाह लगने लगे तो समझो
कुछ भी हो सकता है

चाहना जुर्म नहीं किसी के लिए
वो चाह किसी और की हो जाए तो समझो
कुछ भी हो सकता है  

मन से दुआ मांग रहा खुद के लिए
वो दुआ अगर कबूल हो जाए तो समझो
कुछ भी हो सकता है

लिखता हूँ भावों को शब्द देने के लिए
वो पढ़ कर पसंद, समझ ले कोई तो समझो
कुछ भी हो सकता है


-      प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल  २२/३/२०१६ 

सोमवार, 21 मार्च 2016

बे - लिबास हसरतें ....




हसरतों की बात है
हसरतें गरीब अमीर नही देखती
चली आती है बैठने या तरसाने
आस किसे नही होती
भगवान तू भी तो
साथ अमीरी का देता है

बस अमीर की हसरतें
रेशमी कपड़ो में
सज धज कर निकलती है  
लोगों की आँखे चुधियाँ जाती है
भगवान तू भी तो
फरियाद उनकी ही सुनता है

गरीब की हजारों हसरतें
उसके बिन छत के आशियाने में
बे-लिबास घूमती है
समाज आँख बंद कर लेता है
और भगवान तू
उन्हें जीते जी मार देता है


-    प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल  २१/३/२०१६ 

रविवार, 20 मार्च 2016

बात इतनी सी कहने आया हूँ .......





सुनो
खुद से अक्सर बात करता हूँ
जिक्र तेरा ही होता है
खुद को भूल जाता हूँ
जब तुम्हे याद करता हूँ
सच कहूं तुम मुझे
अब याद हो गए हो  
बात इतनी सी कहने आया हूँ

सुनो
मेरे रोने से
कोई फर्क नही पड़ता
बेदर्द होते वो अक्सर
जिनके चाहने वाले बहुत होते है
वक्त बदलेगा, ये इश्क न बदलेगा
तुझे सलाम कर  
बात इतनी सी कहने आया हूँ
  
सुनो
रात में कोई जागे कोई सोये
इश्क वालो को
सुकून की नींद कहाँ होती है
मेरी तन्हाई में साथ
एक तेरा 'प्रतिबिम्ब'  
और एक तेरा एहसास
बात इतनी सी कहने आया हूँ

सुनो
तुम अब तुम न रहे
वो प्यार ही क्या
जिसमें जी भर जाए
इश्क न सही तरस तो आता होगा
है मुश्किल मगर
ये इश्क तुझसे ही है   
बात इतनी सी कहने आया हूँ



-    प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल  २०/३/२०१६
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...