मै कौन हूँ ?
स्वयं को स्वयं से पूछता हूँ
परन्तु ,
उतर देने की स्थिति में
न मै स्वयं को पाता हूँ .
क्योंकि ,
न मै स्वयं को जानता हूँ ,
न ही स्वयं को पहचानता हूँ .
इसलिये,
मै स्वयं को पहचानने की
इच्छा मन में रखता हूँ
कुछ करने से पहले
ख़ुद को समझना चाहता हूँ
कभी - कभी
मै , मुझे सोचने पर करता है
मजबूर
क्या मै स्वयं के लिए हूँ ?
और नही तो
वो कौन से चीज है
जो मुझे, स्वयं से अलग रख सके।
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
( सन १९८५ में लिखे कुछ शब्द आज भी यही प्रश्नं रोज पूछते है).
स्वयं को जान लेना - शुरु से ही एक बड़ा सवाल रहा है और आज भी अनसुलझा है। अच्छे भाव की रचना।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.
waah aapki kavita kisi satsang se kam nahin
जवाब देंहटाएंsaadhu !
saadhu !
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जवाब देंहटाएंआपकी रचना बेहतरीन हैं उम्मीद करता हूं आपकी रचना आगे भी पड़ने को मिलेंगी........
जवाब देंहटाएंमैंने भी कुछ लिखा है देखिएगा...
***अक्षय-मन
May Avatar Meher Baba Bless You and Loved Ones.
जवाब देंहटाएंAvatar Meher Baba Ji Ki Jai
Yours Lovingly
Chandar Meher
avtarmeherbaba.blogspot.com
lifemazedar.blogspot.com
सिर्फ़ प्रश्न?
जवाब देंहटाएंजबाब खोजे जाने चाहिएं।
और जाहिर है ये मन की हलचल में नहीं मिलेंगे।
मन को तीक्ष्ण करना होगा।
अध्ययन..दर्शन का अध्ययन।
आगे आपसे जबाबों की उम्मीद हैं।
सुस्वागतम्....
आपका नाम बहुत प्रभावशाली है....
जवाब देंहटाएंइन यक्ष-प्रश्नों की तरह ही...
जीवन की विसंगति को आपने काव्यमय अभिव्यक्ति दी है । भाव के स्तर पर कविता काफी प्रभावित करती है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है- फेल होने पर खत्म नहीं हो जाती जिंदगी-समय हो तो पढें और प्रतिक्रिया भी दें-
जवाब देंहटाएंhttp://www.ashokvichar.blogspot.com
हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका हार्दिक स्वागत है.....
जवाब देंहटाएंjab ham "main" ko jan lenge tab sab thik ho jayega. narayan narayan
जवाब देंहटाएंआप सभी लोगो के इस प्रेम से उत्साह मिलता है और मार्गदर्शन भी। वैसे तो एक दो ब्लोग है जहां लिखता हूं लेकिन इस ब्लोग के माधय्म से (जिसमे अन्य लोगो को भी शामिल करना चाहता हूं) मन मे जो उथल पुथल होती है उसको शब्दो के माध्यम से यहां अंकित करना चाहता हूं। यदि आप भी इस्मे साथी बनना चाहते है तो आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंस्वयं को जान liyaa तो फिर दुनिया को jaanaa जाता है........... achaa लिखा है
जवाब देंहटाएंआप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
जवाब देंहटाएंलिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी
मैं कौन हूं? जो स्वयं से इस सवाल को नहीं पूंछता है, ज्ञान के द्वार उसके लिए बन्द ही रह जाते है। उस द्वार को खोलने की चाबी यहीं हैं कि स्वयं से पूछो, `` मैं कौन हंू ? ´´ और जो तीव्रता से, समग्रता से अपने से यह सवाल पूछता हैं, वह स्वयं ही उत्तर भी पा जाता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर!!!
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