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शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

युवा पीढी


इसमे युवा पीढी पर एक नज़र और एक संदेश भी संक्षिप्त रुप मे। ये नही कह रहा कि सारे युवा एक जैसे है लेकिन अधिकतर आज की इस दौड मे शामिल है।

-    प्रतिबिम्ब ड़थ्वाल



युवा पीढी

आज की ये युवा पीढी
जाने कैसी चढ रही सीढी
कहते है हम है आज़ाद पंछी
हमने ही है दुनियादारी समझी

बालक तो अब ले बैठे है नये नये रोग
मां-बाप के पैसे से करते है क्या क्या भोग
आदर सत्कार पर लगाने लगे है अब रोक
फास्ट जिंदगी का ये पाल रहे है सब शौक

बालाओ ने अब् बहुत बदल ली है अपनी सोच
शरीर के अंग दिखाने मे नही होता अब संकोच
बहन जी टाईप लगती है उन्हे अब हर वो औरत
ढका तन, शर्म और संस्कार  हो जिसकी शौहरत  

पा़श्चात्य संस्कृति से हुआ है इन सब्को प्यार
संस्कारो की बात पर तो चढता है इनको बुखार
रेव और डिस्को पार्टी मे ढल गये इनके विचार
आस्था और विश्वास का किया इन्होने तिरस्कार

ज्ञान - विज्ञान मे तो खूब बदली है शिक्षा
बस ना संभाल पाये जो बडे बूढो ने दी दीक्षा
मातृ् भाषा को छोड अंग्रेजी को बस ये जाने
जो हिन्दी बोले उस तो  वे बस पिछडा माने

शुभकामनाये है! जीवन का हर रण तुम जीत लो
बस अपनी संस्कृति और संस्कार तुम कभी ना भूलो
इस धरती का सम्मान करोहिंदुस्तान की शान तुमसे है
इस देश के तुम गौरव बनो,  हिंदुस्तान का मान तुमसे है

 - प्रतिबिम्ब ड़थ्वाल, अबु धाबी, यूए

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