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बुधवार, 29 सितंबर 2010

जीवन में पानी


जानते है की जल से  
एक तिहाई दुनिया आच्छादित है
जानते है की जल
एक रासायनिक पदार्थ है
पानी की तीन अवस्थाये
कभी द्रव्य,कभी ठोस या कभी गैस है
जल आसमां से भी बरसता है
नदी में सागर में और महासागर में भी है
पानी खारा भी है मीठा भी है
बस जल का चक्र घूमता है
कंही पानी को तरस रहा है
कंही पानी खूब बरस रहा है
शरीर में भी पानी है
जीवन में भी पानी है
कंही दूषित है
कंही गंगाजल है
कोई पी रहा है लवणित जल
कोई तरस रहा है पीने को हर पल
कंही बह रहा शांत हो कर
कंही बह रहा अंशात हो कर
कंही बर्फ बनकर लुभा रहा है
कंही बर्फ बनकर मौत दे रहा है
पानी तेरी भी अजब कहानी है
कंही प्यास तो कंही तबाही है
कंही नीर बन कर बह रहा है
कंही तीर बनकर चुभ रहा है
जल से मिलता जब जल
जीवन को मिलता इससे बल
पानी सब कुछ अपने मे समाये
जिस में चाहे उसमें मिल जाये
कोई तुझ को करता अर्पित
कोई तुझ मे हो जाये समर्पित
जल पानी नीर जैसे तेरे कितने नाम
माने दुनिया और माने चारो धाम
पानी बिन रुक जाती सांस
इसमे बसती है सबकी आस
प्यासे को पानी एक बूंद पिला देना
जीवन अपना हे मानव तू संवार लेना
पानी अब मैं क्या करुं तेरा गुणगान
अब तू दे जीवन या फिर ले ले जान
      -    प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 

सोमवार, 27 सितंबर 2010

प्रेम तुम्हारा



प्रेम तुम्हारा………

प्रेम तुम्हारा है अति पावन
दिखाये हर पल मुझको सावन

स्पर्श तुम्हारा है रुई जैसा
कोमल है जो मन की भाषा

प्रेम करती तुम्हारी हर अदा
मधहोश करती तुम्हारी हर सदा

सागर सी गहराई है इसमें
झील सी है शांति इसमें

प्यार का हर रंग छलकता इसमें
प्रेम के हर साज बजते है इसमें

हर मौसम की झलक है इसमें
जिंदगी की हर राह समाई इसमें

प्यार ने दी हर नई सांस मुझको
तुम्हारे प्रेम की तरंग छूती मुझको

प्रेम तुम्हारा है अति पावन
दिखाये हर पल मुझको सावन

-   प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
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