पृष्ठ

मंगलवार, 17 मई 2011

प्रेम - एक अहसास



(इस लेख को लिखने का मन इसलिये हुआ कि कुछ मित्रो के शब्दो में वीडियो मे या शेरो शायरी मे ये महसूस हुआ कि शायद प्यार के खेल मे नाकामी हासिल हुई। कुछ लोग प्रेम का इज़हार भी करते है लेकिन अलग तरीके से। लेकिन अक्सर प्यार को छुपाया ही जाता है क्योकि प्रेम एक शालीनता और येसा संबन्ध है जिसे केवल प्रेमियो तक ही सीमित होना चाहिये, दूसरे के लिये खेल या चर्चा का विषय नही होना चाहिये। अगर हार - जीत इसका उत्तर है तो फिर खेल ही हुआ ना या फिर प्रतियोगिता। नही तो प्यार केवल प्यार है, जब तक है तो उस पर चुप्पी रहती है और जब नही तो उसका बखान किया जाता है हर रुप मे चाहे दोष अपना ही हो)। 

मन भावुक होता है, प्यार करना जानता है चाहता है। दोस्ती, प्यार, दर्द और नफरत - ये चारो एक दूसरे के करीब भी है और दूर भी। प्रेम के इन भाव (दोनो - मिलन और बिछौह ) और पहलुओ को मैने भी कई जगह् खासकर ब्लाग(मेरा चिंतन) में उतारा है। इसमे कंही अतिश्योक्ति भी होगी कंही उस भाव मे कमी भी होगी। पर मकसद उस भाव को उज़ागर करना ही था उसको समझना था या फिर जो देखा या कभी महसूस किया या सोच उस मोड पर ले गई हो - कारण कोई भी हो भाव वही था।

दोस्त और प्यार है तो, ये नज़दीकी है। दोस्त, दर्द और नफरत है तो ये दूरी है। लोग कहते है या मानते जिस मै भी शामिल हूँ कि प्यार करना आसान है, निभाना कठिन। और अगर दरमियान  दूरियाँ हो जाये तो भुलाना मुश्किल। प्यार अगर दर्द बन जाये तो उसका इलाज़ होना चाहिये। शरीर मे या किसी अंग में तक्लीफ हो तो आप उस बीमारी को ठीक करना चाहते है और आप  आपके परिवार वाले आपके साथ रहकर उसका इलाज़ करते है। और जीवन मे आगे सुख हो, शांति हो, स्वस्थ हो, यह इच्छा मन मे उत्पन्न होती है। हां बीमारी के कई कारण होते है और स्वस्थ मनुष्य को भी और बीमार व्यक्ति को भी समे परहेज़ करना स्वास्थ्यवर्धक होता है। मै यह नही कह रहा कि जो प्यार में हारे है या जिनको इसमे दर्द मिला है वे बीमार है, बल्कि यह सोच कर मुझे एक सकारत्मकता दिखाई देती है कि इस दर्द का इलाज़ संभव है। तो सोचा इस विषय को पहले समझा जाये 
( वैसे तो इस पर ना जाने कितने शोध, लेख, कवितायें ,गज़ल, शायरी  या विचार या इलाज़ मेडिकल की भाषा में हैलेकिन मेरे साथ केवल सीधे सपाट तरीके से सोचे, समझे और जानिये)  और फिर कुछ निदान ढूढा जाये तो जो संक्षिप्त रुप से समझा है जाना है और जिया है उससे जो उभर कर आया वो ये है:

प्यार - हर रिश्ते की नीव है। लेकिन हम यंहा केवल प्रेम या उस रिश्ते की बात करेगे जिसमे दर्द मिला हो क्योकि प्रेम है तो, चर्चा किस बात की प्यार किया नही जाता हो जाता है - सब प्रेमी इस बात से इंकार नही करते। शुरुआत एक पल की भी हो सकती है या इस रिश्ते को बनाने मे वर्षो लगते है।  किसी के प्रति आकर्षित होकर या फिर आंखो मे एक दूसरे के प्रति चाहत नज़र आना या फिर बातो मे उस नजदीकी को महसूस करना  प्यार को फलने फूलने मे मदद करता है। उस वक्त एक अंजान सा रिश्ता जुडता है जो आगे दोस्ती और फिर प्यार मे परिवर्तित हो जाता है।

दोस्ती से जब ये रिश्ता बढता है तो एक दुसरे के प्रति प्रेम, आंखो मे प्रेम, शब्दो मे प्रेम,एक दूसरे के हर कार्य मे साथ, बाते करना, उठना बैठना, सोचना या एक दूसरे के लिये सब कुछ कर गुजरने की चाह। उस वक्त अच्छा बुरा ना देखा जाता है समझा जाता है। बस तन और मन एक दूसरे के पूरक लगते है। और इन सब मे तीन बाते अहम होती है भरोसा, सच्चाई एवम एक दूसरे की सोच/विचारो को स्थान मिलना। और  इसमे से किसी भी एक कडी का टूटना ही प्रेम या किसी रिश्ते में दरार आने का कारण बनती है। अगर इसे समय रहते ना संभाला गया तो दरार खाई बन जाती है जिससे पार पाना मुमकिन नही। फिर जख्म बन जाता है जबकि ये मरहम का काम करने वाला रिश्ता है

मेरे विचार से जब आप इस संबध को अपनाने की राह मे हो या इसमे है, तो भी इन पर जरूर ध्यान दें या अपनाये:
1.     सबसे पहले सच कहना सीखे - क्योकि एक बार जो आपने कहा उसे पत्थर की लकीर समझा जाता है तो जो कहे सोच समझकर।
2.     एक दूसरे की कमियो को जरुर जाने, अच्छाईयो से पहले क्योकि आप उन्ही कमियो को फिर अलग होने का बहाना मानते है, बनाते है
3.     विश्वास दिलाना नही महसूस कराना आना चाहिये (दिलाने से तो लगता है कि आप कुछ छिपा रहे है)
4.     एक दूसरे के भावो को समझना हितकर है। क्यो, कैसे उन्ही के मुंह से सुनना। क्योकि छोटे शब्द हा या ना, सीधे उत्तर तो हो सकते है लेकिन उसके पीछे के कारणो को नही समझ सकते। बातचीत को तवज्जो देना जरूरी है।
5.     प्यार की अभिव्यक्ति एक दूसरे के मनमुताबिक या इच्छानुसार करना चाहिये ना कि जो केवल आपको अच्छा लगता है। एक दूसरे की खुशी को अपने बीच ढूंढने का प्रयास निरंतर होना चाहिए।
6.     शक को ना पनपने दे। आप जो करे उसे अपने साथी के साथ बांटे या किसी प्रकार की कोई घटना घटी हो तो स्पष्ट शब्दो मे कही जानी चाहिये।
7.       एक दूसरे का पूरक बनने का प्रयास करे। समय समय उपहार तथा भ्रमण को स्थान दे। एक दूसरे को कभी स्वयं के लिए स्थान देना भी समझदारी है। प्रेम का सबसे असरदार पहलू है जिसमे देना आना चाहिए लेना नही। 

यह सब केवल प्रेमियो [प्रेमी और प्रेमिका] के संबंध मे ही नहीं हर रिश्ते मे अहम स्थान रखते है। 

सच पूछो तो निदान भी यही है अपने प्रेम को सफलता पूर्वक और रिश्ते को जीने के लिए। हाँ कई बार कुछ मजबूरीयाँ ना चाहते हुये भी इस मे अलगाव का रूप ले कर खड़ी हो जाती है। और यदि आप समझते है कि आपने या आप दोनों ने  १००% अपना रिश्ता ईमानदारी से निभाया है तो फिर यही मंजूरे खुदा जानकर जीवन मे आगे बढ़ना चाहिए। इसमे स्वयं को दुख पहुंचाना या अन्य रुप से प्रताड़ित करना उस प्रेम या रिश्ते की तौहीन करना होता है जिसे आपने किया है या जिया है। आप खुद सोचे अगर आपने उस इन्सान को प्रेम किया है, उसने भी किया है या  रिश्ता निभाया है तो आपका दुखी  देखकर उसे भी तो दुख पहुंचता होगा। 

मन में चिंतन करिए और रिश्तो को जीने का प्रयास करिए। 

शुभकामनाये!!!!! 

-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 

रविवार, 15 मई 2011

फिर भी तेरा इंतज़ार ........





मै कोई ख्वाब तो नही
तू एक ख्वाब ही सही

मानता हूँ
तू मेरा प्यार है
जानता हूँ
मै तेरा प्यार नही
मानता हूँ
मै तेरा नसीब नही
जानता हूँ
तू मेरे नसीब मे नही

पलो को समेटने का मन
तेरे करीब लाता है
तुझे पास ना पाकर
वापिस लौट आता है
याद कुछ और भी आता है
फिर अकेला मै हो जाता हूँ

तू सितारा है उस आसमा का
जिसमे साथ है और सितारो का
मै तो धरती पर खडा
देखता हूँ नम आंखो से
जानता हूँ तुझ तक
पहुंचना मुमकिन नही
फिर भी आस है मन की,
दूर जाती नही

मौसम बदलते है जब
आसमां भी रंग बदले
छुप जाते है सितारे
मन मेरा बस तुझे पुकारे

आप को चाँद से है प्यार
हम को आपसे है प्यार
चांद से बाते होंगी
शरारते भी होंगी
शायद एक दिन
मिलन भी होगा
हम कुछ न कहेंगे
सिर्फ तुझे देखते रहेंगे  

हम फिर भी रहेगे
तेरे ही इंतजार में
शायद फिर देख पाऊँ
अपने प्यार को
एक नज़र भर
एक नज़र भर

-          प्रतिबिंब बड़थ्वाल 
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...