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गुरुवार, 15 अक्टूबर 2009

दिवाली फ़िर से आई - शुभकामनाये



दिलो - दिमाग पर रहती, हर त्यौहार की छाप है

बतलाया गया मुझे चोरी और झूठ तो एक पाप है।


सिखलाया करना बड़ो का आदर, रखना प्रेम और भाई चारा,

देश प्रेम का पाठ पढाया और बुलंद किया देशभक्ति का नारा।


आज दिवाली फ़िर से आई सबके चेहरो पर ख़ुशियाँ लाई,

दोस्तों को देने लगे बधाई, सबके घरों में उमंग ले आई।


भूल गये सब कल की बाते, नई राह फ़िर लगे हैं देखने,

आज फ़िर कल बन जायेगा, सभी भरने लगेंगे घर अपने।


आओ दीपावली का त्यौहार हम आज इस तरह मनाये,

रुठे है सपने जिनके, उनके सपनों को आज़ फ़िर संज़ाये।


- प्रतिबिम्ब बडथ्वाल

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