(बहुत साल पहले कुछ मित्रो को शादी की मुबारकबाद देते हुये कुछ प़क्तिया)
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एक से दो हुये आप, देता हूँ मुबारकबाद
बता रहा हूँ क्या करना तुम शादी के बाद
रात - दिन का नही, जीवन भर का है साथ
इसे निभाना प्रिय मित्रो , तुम शादी के बाद
एक दूसरे को समझना, ना करना तुम शक
इधर उधर झाँकना नही, तुम शादी के बाद
सुख - दुख जीवन का अंग है, इसमे रहना साथ
एक दूसरे का हाथ बटाना, तुम शादी के बाद
एक दूजे की खुशियों का रख्नना तुम ध्यान
हर कदम फूँक - फूँक रखना तुम शादी के बाद
सुन्दर - सुन्दर फूल खिलाना तुम अपने घर आँगन
छोटा परिवार सुखी परिवार, रखना ध्यान तुम शादी के बाद
बता रहा हूँ क्या करना तुम शादी के बाद
रात - दिन का नही, जीवन भर का है साथ
इसे निभाना प्रिय मित्रो , तुम शादी के बाद
एक दूसरे को समझना, ना करना तुम शक
इधर उधर झाँकना नही, तुम शादी के बाद
सुख - दुख जीवन का अंग है, इसमे रहना साथ
एक दूसरे का हाथ बटाना, तुम शादी के बाद
एक दूजे की खुशियों का रख्नना तुम ध्यान
हर कदम फूँक - फूँक रखना तुम शादी के बाद
सुन्दर - सुन्दर फूल खिलाना तुम अपने घर आँगन
छोटा परिवार सुखी परिवार, रखना ध्यान तुम शादी के बाद
- प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल
(1989 मे लिखी हुई - अपने अन्य ब्लाग मे भी प्रेषित की थी)
अच्छी सीख देती रचना. बधाई..पुरानी है मगर हमेशा उपयोगी रहेगी.
जवाब देंहटाएंपहले सेहरा ऐसे ही लिखा जाता था । अपने कुछ मित्रो के विवाह मे हमने भी लिखे हैं ।
जवाब देंहटाएंGood to preach, difficult to practice.
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