रंगीन दुनिया,ढूढे फिर भी
कौन सफेद या काला है
अपनो के रंगो में भी खोजे
कौन अपना कौन पराया है
अमीरी का रंग
बस चढता जाता है
गरीबी का रंग
तो बस बिखरता जाता है
खून का रंग
अब सस्ता हुआ
आंतक का रंग
चारो ओर फैलता रहा
भय का रंग
रोज़ मौत देता रहा
छोड हिंसा का रंग
इंसानियत को अपनाये
फूलो का रंग
फीका ना हो जाये
जंगल का रंग
सूना ना हो जाये
प्रकृति का ये रंग
कहीं उतर ना जाये
सब एक हो जाये
ले शपथ इसे बचाये
ये दोस्त (हर इंसान)
तेरे रंग का क्या कहना
मुझे तो बस
तेरा रंग ही भाया है
तेरे हर रंग में रंग जाना है
छोड नफरत का रंग,
अब स्नेह रंग में रंग जाना है
-प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल
अबु धाबी, यूएई
असली रंग तो प्रेम का ही रंग है यह रंग हम सब पर चढ़े यह दुआ ,,
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