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शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

ये निगाहे

ये निगाहें


तेरी ये निगाहे
जो कहना चाहती है
वो सब कह जाती है
तेरी निगाहे बहुत बोलती है

प्यार का इज़्हार या इनकार
ये निगाहे बंया करती है
ये निगाहे शरमा जाती है
तेरी निगाहे बहुत बोलती है

छोटी सी हो या बड़ी बात
तेरी निगाहे कह जाती है
तेरी निगाहे सवाल पूछतीं है
तेरी निगाहे बहुत बोलती है

तेरे दिल का दर्द्
इन निगाहो मे छलक आता है
इन निगाहो मे उतर आता है
तेरी निगाहे बहुत बोलती है

तेरा गुस्सा या प्यार
इन निगाहो मे दिखता है
इन निगाहो मे पढ सकते है
तेरी निगाहे बहुत बोलती है

वो प्यार का अफसाना
तेरी निगाहे बंयान करती है
तेरी निगाहे आगोश मे बुलाती है
तेरी निगाहे बहुत बोलती है

प्यार जब करुँ तुझे
तेरी निगाहे खामोश लगती है
तेरी बंद निगाहे फिर बाते करती  है
तेरी निगाहे तब भी बहुत बोलती है
-      प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

3 टिप्‍पणियां:

  1. खुबसूरत निगाहें लिखने को भी प्रेरित करती है ...और ..इसिलए तो निगाहों में बस जाने का मन करता है ...bahut hi sunder

    जवाब देंहटाएं
  2. निगाहें बड़ी बेवफा होती हैं
    दिल का हर राज़ कह दिया करती हैं ...

    अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. sir bahut sundar likha hai apne aankho me hi to sab sapane sajate hai chaye pyar ke hi ho.
    - proud garhwali

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी/प्रतिक्रिया एवम प्रोत्साहन का शुक्रिया

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