भ्रष्टाचार को खतम करने के लिए लोकपाल बिल के ड्राफ्ट को तैयार करवाना और फिर उसको पास करवाना इस मुहिम का मुख्य लक्ष्य था। जिसे अन्ना के इस आंदोलन ने जन समर्थन पाकर पहली सीढ़ी चढ़ी है। समर्थन ज्यादा था इसलिए सरकार को झुकना पड़ा। शांति रूप से किया गया ये जन आंदोलन एक मिसाल बना स्वतंत्र भारत मे। इसके बाद विरोध के स्वर भी उभर रहे है लेकिन उन्हे नज़र अंदाज़ किया जा सकता है क्योकि इस मुहिम की सार्थकता मे सच और जनशक्ति का बोलबाला था। आज कई नेता यहाँ तक की जो सरकार की ओर से उस कमेटी मे शामिल है वह भी सवाल उठा रहे है । कारण एक ही है की वे खुद अपने गले मे फांसी का फंदा लटका देख रहे हैं। बस खुशी है की सरकार को कम से कम झुकना पड़ा और आज पैतरा बदलते है तो जनता उन्हे इसका मज़ा जरूर चखायेगी।
आज की पीढ़ी ने नमक सत्याग्रह या साइमन वापिस जाओ आदि के बारे मे पढ़ा या सुना था अब तक लेकिन अब उस जज्बे को स्वयं देखा व महसूस किया देशभर मे,जिसमे मैं भी शामिल हूँ । एक जन सैलाब उमड़ा और लोगो मे एक उत्साह दिखा। आक्रोश लेकिन सयंम से और एक आवाज़ मे पूरे भारत मे देखने सुनने को मिला। अब रास्ता खुल गया है अब स्वयं से वादा ज्यादा सार्थक सिद्ध होगा और अपनी सोच मे परिवर्तन लाना होगा अपने दैनिक जीवन मे
१ स्वयं किसी भी प्रकार की रिश्वत नही लेंगे और ना ही देंगे - यही हमारी कमजोरी है जो येसे लोगो को बढ़ावा देते है।
२ अगर कहीं आपको लगता है की येसा कुछ हो रहा है तो उसकी सूचना आर टी आई या इन जैसी संस्थाओं के पास तुरंत दे जो इस मुहिम से जुड़े है ताकि एक सही तरीके से उन लोगो से निपटा जा सके।
इसके लिए दोनों [रिश्वत लेने और देने वालो ]को सज़ा का भी कानून बने।
देखा की आर पी आई के लोगो ने तोड़ फोड़ की अनुपम खेर के घर पर..... इन राजनीतिक दलो को अभी भी सबक नही मिला की शांति से बहुत कुछ किया जा सकता है। सब राजनीतिक दलो को इस तरह के आंदोलन द्वारा ही विरोध करना सीखना चाहिए। आंदोलन को क्रमबद्ध तरीके से अपनाना जरूरी है।
लोकपाल बिल के बाद इन लोगो को भी सबक सिखाना होगा .... इन सब बातो के लिए अपनी सोच को हमें नये सिरे से सोचना होगा। नेताओ और सरकार को सोचना होगा इस बारे मे ....
१ विरोध शांति पूर्ण ढंग से हो
२ मार्च और उसके रास्तो इत्यादि की सूचना अग्रिम होनी चाहिए जिससे पहले ही मीडिया अखबार द्वारा लोगो को बदले रास्तो के बारे मे अवगत करा जाये।
३ दुकानों आदि को जबर्दस्ती बंद कराने वाले को भी दंड का प्रवधान
४ तोडफोड करने वालो और राष्ट्रीय संपति को नष्ट करने वालो को गैर जमानती वारंट,कड़ा जुर्माना एवं सज़ा होनी आवश्यक है[इस बाबत कानून तो हैं लेकिन इतने कड़े नही की लोग इससे से डरे]
५ प्रदर्शन होनी वाली जगहों के अस्पताल व बैंक इत्यादि को विशेष सुविधा दी जानी चाहिये। आवश्यक सेवाओ मे अवरोध पैदा करने वालो को कड़ी से कड़ी सज़ा लागू होनी चाहिये।
इन सभी मे सबसे जरूरी है की इन की सुनवाई फास्ट ट्रेक कोर्ट के द्वारा तय सीमा के अंदर ही हो, यह संभव इसलिए भी है की आजकल मीडिया हर जगह है [उन्हे इसमे अहम माना जाना चाहे जो लाइव इनका प्रसारण कराते है ], गवाहो को सुरक्षा जब तक केस का नतीजा नही निकलता है.... आम जीवन मे तो सुरक्षा मे कितनी तत्पर है हमारी पुलिस या अन्य सुरक्षा कंपनिया ये हम सब जानते है भुगत रहे है रोज़।
- प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल
बिलकुल ठीक कहा प्रति जी ....मै आपकी बातो से पूर्ण रूप से सहमत हूँ ...अगर हम कुछ ऐसे नियम कानून अपने जीवन में भी बना ले ...तो धीरे धीरे ही सही ..समाज में परिवर्तन आएगा ...आशा और उम्मीद का दामन हमेशा रहता है ...अच्छे समाज की आशा और भ्रष्टाचार मिटाने की उम्मीद और संकल्प ..हमारे समाज में क्रांति ले आये ....अन्ना का और आप हम जैसे भारतीयों का सपना पूरा हो ...उम्मीद है ...जय हो ...
जवाब देंहटाएंअच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
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