चल खेले खेल
अदला बदली का
तू डाल - डाल
मै पात - पात
तू मै बन जाऊँ
मै तू बन जाऊँ
तेरा गरुर मै ले लूँ
मेरा सरुर तू ले ले
दे दे मुझको
अपना मन
अपना दिल
अपनी खुशी
मै तुझे देता हुँ
अपना प्यार
अपना इकरार
अपना अंतर्मन
अब देखो जो कहना
कहने से पहले सोच लेना
और जो मै कहूँगा
उसे भी तुम सुन लेना
अरे...
खेल शुरु होते ही
तुमने हार क्यो मान ली
मैने तो तुम बनकर
तुम्हें जीत दे दी
अपनी हार स्वीकार ली
तुमने वही किया
जो मैंने किया
हार कर भी
हम जीत गए
एक दूजे को
शायद
अब समझ गए
अब ना कहना .......
-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
bahut hi sunder abhivaykti...
जवाब देंहटाएंप्रतिबिम्ब जी सदा की तरह अति सुन्दर भावुक रचना.....शुभ कामनाएं...
जवाब देंहटाएं