मन बहुत उतावला होता है। इसमे न जाने कितने सवाल उठते है या जबाब मिलते है। चाहे उनमे मै स्वयं ही घिरा हूं या फ़िर
समाज या देश के प्रति मेरी उदासीनता या फ़िर जिम्मेदारी। आप भी मेरी इस कशमकश के साथी बनिये, साथ चलकर या अपनी
प्रतिक्रिया,विचार और राय के साथ्।
तेरे मन मे आज क्या है लिख दे "चिन्तन मेरे मन का" के पटल पर यार,
हर पल तेरी
कशिश का फ़साना हो या फ़िर तेरी यादो का सफ़र मेरे यार।
.. आपको भी दीपोत्सव की शुभकामनाएं !!
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