रास्ते बदल गये : कमलेश चौहान ( गौरी)
Legal action will be taken if any line, words will be manipulated, exploited from above Poemमाना कि ये उस मालिक का दस्तूर है
कुछ पल सब कुछ है
कुछ पल देखो तो कुछ भी नहीं
कल जो दिल के करीब था, आज भी है
अब, सात समुद्र पार है
कल जो अपना था वो आज कहीं नहीं
ओह ! हम बहक गए थे किसी की बातों से
कैसे कटेगी ज़िन्दगी
मत पूछो जिसकी हमें खबर नहीं
चाँद महका था अमावस की रातों के बाद
वो कौनसी थी रात थी
मुझसे मत पूछो अब कुछ याद नहीं
उसने न जाने अनेकों नाम लिख दिए थे
अपने दिल पे
मेरा नाम याद रहे, यह जरूरी तो नहीं
दो रोज़ का हंसना हंसाना, गुनगुनाना
हसीं वादियों में
अब वो सर्द राते परायी है मेरी नहीं
भूली बिसरी यादों, दिल में बसेरा मत करो
वो जो निकला बेवफा
उस दोस्त का नाम दोहराना कोई ज़रूरी तो नहीं
लेखिका - कमलेश चौहान (गौरी)
All rights reserved with " Saat Janam Ke Baad" @ Kamlesh Chauhan(
Excellent composition
जवाब देंहटाएंआपकी रचना बहुत अच्छी लगी। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएं♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥नव वर्ष मंगबलमय हो !♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
माना कि ये उस मालिक का दस्तूर है
कुछ पल सब कुछ है
कुछ पल देखो तो कुछ भी नहीं
वाऽह !
क्या बात है
आदरणीया कमलेश चौहान (गौरी) जी !
आपकी खूबसूरत त्रिवेणियां अच्छी लगी ...
आपकी लेखनी से और सुंदर , सार्थक , श्रेष्ठ सृजन हो , यही कामना है …
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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dil ko chhu gai aapki kavita kamlesh ji ..bahut sunder ...
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