कोई गम की आग में
कोई कर्म की कसौटी पर
कोई इर्ष्या की तपन में
कोई शीर्ष की देहलीज पर
कोई प्रेम अगन में
कोई अहंकार की गरमी पर
कोई दुशमनी की आँच में
कोई भ्रम के धुएं पर
कोई क्रोध की ज्वाला में
कोई अपनों की बेवफाई पर
कोई वक्त की आँच से
कोई दुनिया से रुखसत होने पर
लौ इस दिए की
शायद कुछ कह रही है
जलना है तो ऐसे 'प्रतिबिंब'
खुद जल रोशन दुनिया करो
-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " बर्फ से शहर के लिए " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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