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सोमवार, 20 जुलाई 2009

कौन है रचनाकर (मेरी पहली रचना मेरे सब्से पहले ब्लाग पर)



जीवन की संरचना में,
कौन है रचनाकर ?
कैसे इस रचना को
रच देता है रचियेता ।
हर रंग से वशीभूत होकर,
भर देता है रंग रचियेता

हर एक भिन्न - भिन्न है,
रंगो का मिश्रण भी अलग है,
सबके जीवन में रंग अलग है,
हर रंग का आकर्षण अलग है,
जीवन की संरचना में,
कौन है रचनाकर ?



रचियेता की रचना में
रंग की अखरता में,
रंग की सरलता में,
रंग की सहजता में,
रंग की विभिन्नता में,
रंग की एकता में,
रंग की भावना में,
रंग की ताकत में,
बदल जाता है,
हर रंग का मतलब
जीवन की संरचना में,
कौन है रचनाकर ?


धूप छांव के रंगो में,
इन्द्रधनुष बन जाते है ।
रंग से रंग मिल जाते है,
जीवन से जीवन मिल जाते है ।
रचनेवाला छोड़ जाता है,
हर रंग का रंग जीवन भर ।
जीवन की संरचना में,
कौन है रचनाकर ?



- प्रतिबिम्ब बडथ्वाल

(मेरी प्रथम रचना मेरे प्रथम ब्लाग पर आपके लिये प्रस्तुत 23/11/2007)
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