दूरियां दर्मियां होती तो
पास तुम्हारे हो्ता कैसे?
आंखे मिलती नहीं हमारी तो
इन आँखो में बसाता कैसे?
तुमसे अनजान होता तो
अपनी जान बनाता कैसे?
आवाज सुनी ना होती तो
प्यार के स्वर सुनता कैसे?
इंतजार किया न होता तो
मिलने का पल समेटता कैसे?
अहसास रुक जाते तो
सांसे यूं समाती कैसे?
प्रीत तुमसे की न होती तो
गीत मन के लिखता कैसे?
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
(यह भी मेरी पुरानी रचनाओ में से एक है )
Simply awesome...
जवाब देंहटाएंsundar abhivyakti
जवाब देंहटाएंआवाज सुनी ना होती तो
जवाब देंहटाएंप्यार के स्वर सुनाता कैसे ?
इन्तजार ना किया होता तो
मिलने का पर समेटता कैसे ?
वेसे तो सबका अपना अपना सोचना है
पर मेरे सोचे इन चार पंकित्यों में बहुत कुछ
कह दिया आपने प्रतिबिम्ब जी !!!