हर मोड पर दौडती नज़र
आये कही से उनकी खबर
ढूढती रहे उन्हे शहर-शहर
कही ना मिली उनकी खबर
तुम बिन आसान नही डगर
ढूढे तुम्हे कहा अब हम मगर
नाकामी बस बनी हमसफ़र
अपने से ही हुई बात अक्सर
हालात पूछते रहे प्रश्न इस कदर
टूटती रही आस, वो रहे बे खबर
-प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल (अबु धाबी, यूएई)
वाह...बेहतरीन अभिव्यक्ति...सुंदर भाव से सजी सुंदर ग़ज़ल...बधाई
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा आपको यहाँ पढ़कर
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