प्रतिद्वन्दता कराती जिन्दगी
उठाती - गिराती ज़िन्दगी
जलाती - बुझाती जिन्दगी
बनाती - बिगाड़ती जिन्दगी
रुठती - मनाती जिन्दगी
रुलाती लेकिन हंसाती जिन्दगी
इठलाती लेकिन खेलती जिन्दगी
चुपचाप लेकिन बोलती जिन्दगी
पूछती लेकिन उतर देती जिन्दगी
इन्कार - इकरार करती जिन्दगी
पास – फेल कराती जिन्दगी
मेल – बिछोह कराती जिन्दगी
प्यार – नफरत सिखाती जिन्दगी
हराती लेकिन सिखलाती जिन्दगी
रुकती लेकिन चलती जाती जिन्दगी
ढूँढती लेकिन महकती जिन्दगी
आंसू लाती लेकिन मुस्कराती जिन्दगी
- प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल
(पुराने ब्लाग से ली गई रचना)
ज़िन्दगी के सभी स्वरूप सुन्दर हैं...........
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा.........
एक नकार का भाव है जो ज्यादा है....वह सच भी है। जिस वक्त में हम जी रहे हैं..वह ऐसा ही है।...आखिरी पैरे के चार- लेकिन- जो लिखे गए हैं वहां कवि निराशावादी नहीं है। दूसरे शब्दों में..हर निराशा से ही आशा की किरण पैदा होती है। मैं सोचता हूं कि प्रतिबिंब जी आधुनिक कविता शैली में भी लिखें तो काफी अच्छा होगा- जीवन का मेरा पाठ और एक बड़ा बयान भी जो निवेदन की शक्ल में है -सादर
जवाब देंहटाएं-अलबेला जी शुक्रिया!
जवाब देंहटाएं-प्रमोद जी जिंदगी के कुछ पहलू स्वत: ही शब्द बन कर उभर आते है। कल, आज और कल मे भी यही हमारे इर्दगिर्द रहने वाले है। ना कवि हूं ना कोई साहित्यकार केवल मन का भाव लिख डालता हूँ। गलती और कमिया दोनो ही इसमें होंगे।
प्रमोद जी आप जैसे लोगो से हर पल सीखने को मिलता है। आशा है कि आप लोगो का मार्गदर्शन छोटे या बडे रुप में इसी स्नेह के साथ मिलता रहेगा।
बहुत सुन्दर ख्याल प्रस्तुत किये..वाह!
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