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रविवार, 12 सितंबर 2010

आओ करके देखे


सावन क्या होता है पुरवाई बताती है
सुबह क्या होती है किरणे बताती है
प्यार क्या होता है बेवफाई बताती है
आज़ादी क्या होती है गुलामी बताती है

खुशी क्या होती है गम बतलाता है
रात क्या होती है अंधियारा बतलाता है
जीत क्या होती है हारने वाला बतलाता है
कौन सो रहा है जागने वाला बतलाता है

मुस्कराहट क्या होती है मुस्करा कर देखिये
प्यार क्या होता है प्यार निभा कर देखिये
अपना क्या होता है अपना कर देखिये
भूख क्या होती है भूखा रह कर देखिये

घौंसला क्या होता है चिडिया से पूछिये
देश क्या होता है शहीदो से पूछिये
पानी क्या होता है प्यासे से पूछिये
आंखे क्या होती है अंधे से पूछिये

आज कुछ पूछे नही करके देखिये
आज ज्यादा सोचे नही कर्म करके देखे
आज झूठ नही सच बोल कर देखे
आज किसी से हे नही खुद करके देखे

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल, आबू धाबी, यूएई

4 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर भाव, सुंदर रचना...सच हैं कहकर नहीं करके देखना चाहिए...

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  2. बहुत सुन्दर रचना ....

    पूरे ब्लॉग पर ताला लगा हुआ है ..यदि चर्चा मंच तक ले जाने का प्रयास भी किया जाये तो नहीं ले जाया जा सकता ....

    जवाब देंहटाएं
  3. संगीता जी अब ताला खोल दिया है यदि आप कोई भी रचना को चर्चा मंच पर ले जाना चाहे तो ले जा सकते है।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहद उम्दा..,लाजवाब

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी/प्रतिक्रिया एवम प्रोत्साहन का शुक्रिया

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