कौन - कौन है अपना यंहा, किस - किस ने
दिया साथ
कंहा - कंहा अपना ठिकाना, किस - किस ने
थामा हाथ
चुन - चुन कर दोस्त बनाते, बुन - बुन
कर रिश्ते संवारते
कण - कण प्रेम का हम सजाते, जन - जन
को अपना कहते
आज - कल का भेद ना जाने, कल - परसो के
लिये आज बिगाड़े
धर्म - अधर्म का पाठ रोज़ पढते, पल - पल
धर्म से हम नाता तोड़े
इधर
- उधर की बातों मे कान लगा, जन - मानस की करते बात
सुध
- बुध खो बिखर रहे, क्षण - क्षण दुश्मनी की बैठ रही बिसात
तेरा - मेरा बना अब रिश्ता, उलट - पुलट हुआ देखो सब विधान
अपने - पराये का बस छेडते राग, करते - करते छोड जाते निशान
तन
- मन में आओ प्रेम जगाये, घर - घर में देश प्रेम की जोत जलाएँ
जन
- जन को अपना हम बनाएँ, लम्हा - लम्हा आओ फिर से जी जाएँ
- प्रतिबिम्ब
बड़थ्वाल
लम्हा - लम्हा आओ फिर से जी जाएँ----- very nice composition
जवाब देंहटाएंतन मन में आओ प्रेम जगाएं
जवाब देंहटाएंघर घर में राष्ट्र प्रेम की जोत जलाएं.....
अत्यंत ही प्रेरक एवं भाव पूर्ण आव्हान ....
शुभ कामनाएं प्रतिबिम्ब जी !!