गरीब और गरीब, अमीर और अमीर हो गया
दोनों के मध्य जनता का यूं बंटवारा हो गया
आज की माने तो गरीब अब अमीर हो गया
गरीबी तो नही हाँ गरीब का गरुर मिट गया
आज़ादी से अब तक गरीबी हटाओ इनका नारा है
गरीब तो बस बना इन नेताओ की आँख का तारा है
सत्ता का बीमा पाया वोट से पहले प्यार लुटाया सारा है
मिटायेंगे गरीबी आज भी इनको लगता प्यारा ये नारा है
नेता का नारा है वोट दोगे तो संग हमारे सवेरा है
रणनीति और राजनीति का तो बस ये बना चेहरा है
हर हाथ थामे दिखाता है लेकिन चरित्र इनका दोहरा है
गरीब केवल अब तो बना सियासी खेल का मोहरा है
करोड़ो खर्च करके उसे योजना मे इन्होने लगा दिया
गरीब से वादा कर एक लोलीपोप इन्होने थमा दिया
हट गई है गरीबी अब, इन्होने यह ऐलान कर दिया
पेट की चिंता को इन्होने अब चिता मे जो बदल दिया
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
प्रति जी आज के परिवेश पे सटीक बैठती है ये रचना और हर भाव..........हाँ सही कहा आपने बिलकुल जब चुनावो का समय आता है तो ये गरीब ही इन्हें अपनी आँखों का तारा सा नज़र आता है........और चुनावो में जीतते ही गरीब उनकी आँख की किरकिरी बन जाता है.............
जवाब देंहटाएंExcellent composition
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