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गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

याद





मन में उभरते भाव
छेड़ देते है कोई घाव
किया जिससे किनारा
वही उस पल का सहारा

भूले बिसरे गीत जो बने
गुनगुना लेते है कभी उन्हें
नए बोल नए सुर से सजा
जीने का बहाना ढूंढ लेते है

बीता पल बिछड़ जाता है
आज से फिर मिल जाता है
कल के सुख की खातिर
आज को जीना भी जरुरी है

भूल जाते है लोग जिन्हें
याद करते है केवल उन्हें
जो साथ है हर पल 'प्रतिबिंब'
क्यों करे फिर याद उन्हें

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

3 टिप्‍पणियां:

  1. प्रति जी नमस्कार बहुत सुंदर सन्देश देती रचना .........मन के भाव ऐसे ही ताने बाने से है बुने कभी देते घाव और कभी सहला जाते है .........पुराने की यादो संग पलते और नए का हाथ थाम है चलते मन के भाव .............शुभं

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