मैं आज
गरीब नही हूँ
किसी को
रहम आया
जलेबी
ब्रेड मेरे नसीब में आया
आज मैं
खुश हूँ
देश की ६५
सालो की गरीबी दूर हुई
गरीब का मूल्य
३० रुपये ठहराया
और गरीबी
को आंकड़ो से दूर भगाया
चलो आओ
खुशियाँ मनाये
दाल रोटी
हम १२ रुपये में खाएं
अरे
सरकारी नेताओ
फ़ूड
सिक्योरिटी बिल पर क्यों करोडो लगाते?
जब ५ और
१२ में खाना मिल जाता
गरीब और
अल्पसंख्यंक आज भी वही खड़ा है
तुम्हारे
वादों के अहसान तले ज्यों का त्यों दबा पड़ा है
पर अब
मजाक करने की भी हद होती है
मार रहे
हो हमें दिन प्रतिदिन महंगाई से
जलता है रोज
कलेजा
उस पर
नमक छिड़क रहे हो
उड़ा लो
हमारी तुम खूब खिल्ली
चलो मान
ली आपकी दरिया दिली
५ रुपये
में मिलेगा भर पेट खाना
लेकिन ५
या १२ रुपये मैं कहाँ से लाऊं ???
- - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
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