उदासी.....
क्या
रंग है उदासी का
क्या
रूप है उदासी का
कौन
सा मौसम है उदासी का
उदासी
में
केवल
रात ही नज़र आती है
इसमें
न धूप खिलती है
न
ही शाम होती है
बस
अन्धकार ही अन्धकार
समुद्र
की गहराई लिए अँधेरा
बस
डूबता जाता है इंसान
तब
लगता है कि
तैरना
जानते ही नही
मौत
ही एक रास्ता नज़र आता है
सब
कुछ छोड़ जाने को
हर
मुसीबत से छुटकारा पाने को
मन
करता है
चुपचाप अलविदा कहने को ....
गीली
मिट्टी लिए हुए रास्ता
दलदल
बन खींचता है अपने में
हल्की
रोशनी मिलते ही
हर
परछाई,
अनहोनी होने का
आभास
दे जाती है
और
हर एक आहट
डर
का श्रीगणेश करती है
ख़्वाब
और ख्वाइशे
दम
तोड़ते हुए
आखों
से ओझल हो जाते है....
पीला
चेहरा स्याह सा उभर
अँधेरे
की भेंट चढ़ता जाता है
वजह
बेवजह खुद पर दोष
स्थापित
करता हुआ - शून्य दिमाग
आँख
खुलने पर
नींद
खुलने का अफ़सोस करता है
निराशाओं
का आँचल लहराकर
पूरे
बदन को ढक लेता है
कफ़न
की भांति ....
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल १/२/२०१७
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