खुश हो प्रभु ?
अपनों की जान की खातिर
तुझ पर आस लगाये लोग
सुनकर लोगो की
हृदय विदारक चीख
पल-पल तुम्हारे चरणों में
शवों के आने का सिलसिला देख
अपनों की विवशता देख
खुश हो प्रभु ?
आक्सीजन, बिस्तर, दवाई और
इंजेक्शन के लिए दौड़ते लोगो को देख
अपनों के लिए जिंदगी माँगते लोग
आंसुओं का बहता सैलाब
टूटते -बिखरते परिवारों को देख
कहीं मौन रुदन देखकर
खुश हो प्रभु ?
अंतिम संस्कार का
हक़ छीनता देख और
शमशान में
बोलियाँ को लगते देख
कालाबाजारियों की हैवानियत पर
संस्कार पर भारी पड़ती
मानवता को कोसती जिंदगी से
खुश हो प्रभु ?
मन्दिर में भी बैठा है
तू अकेले प्रभु
लोग भयभीत हो कर
तेरे अस्तित्व पर
तुझ पर प्रश्नचिंह लगा रहे
नियति के इस खेल में
तुम बाजी जीत कर
खुश हो प्रभु ?
अब ख़ुशी से
दिल भर गया होगा प्रभु
मान लिया पापी है
तेरी नज़र में सब
पर जिनको तूने
अपने पास बुलाया है
उनके अपनों का भी सोच
कितनो को
जीते जी मार गया तू
सुन प्रभु!
अब बस कर न
बहुत खा लिए तूने भाव
गलतियों की सजा मान ली
मृत्यु का ये तांडव
नही देखा जाता अब
बहुतो को खो दिया
अब लौट जाने दे सबको
खुशियों के संग
जीने दे जिंदगी
जीने दे जिंदगी
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल / ३ मई २०२१
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