प्रतिबिम्ब भी इसी दुनिया में, रहता और जीता है
जिस में संघर्ष, दु:ख और सुख साथ साथ होता है
जिस में संघर्ष, दु:ख और सुख साथ साथ होता है
अपने चेहरे पर मुस्कान, आँखों में चमक रखता हूँ
लेकर साहसी दिल, हर चुनौती का सामना करता हूँ
जीवन सदैव निष्पक्ष और उज्ज्वल नहीं, ये मानता हूँ
लेकर सपना सफलता का, कर्तव्य मार्ग पर चलता हूँ
आत्मा की सुनकर आवाज, इच्छा मेरी कभी टूटी नहीं
राह में लड़खड़ाया, उठा लेकिन आत्मा कभी सोई नहीं
अच्छे, सच्चे मन से कार्यों को पूरा करने का है संकल्प
परिवर्तन की हवा संग, जोड़ रहा हूँ मैं नित नए प्रकल्प
जीवन की इस यात्रा में, हर पल नया सिरा जुड़ता जाता है
प्रतिबिम्ब जीवन का खिलता, निखरता आगे बढ़ता जाता है
1 अप्रैल, 2024 दिल्ली, भारत
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