[ मित्र अशोक राठी जी द्वारा रचित एक रचना ]
जागो भारत जागो देखो
आ पहुंचा दुश्मन छाती पर
पहले हारा था वो हमसे
अब फिर भागेगा डरकर
शीश चढ़ाकर करो आरती
ये धरती अपनी माता है
रक्तबीजों को आज बता दो
हमें लहू पीना आता है
नहीं डरेंगे नहीं हटेंगे
हमको लड़ना आता है |
काँप उठा है दुश्मन देखो
गगनभेदी हुंकारों से
डरो न बाहर आओ तुम
लड़ना है मक्कारों से
आस्तीन में सांप पलें हैं
अब इनको मरना होगा
उठो जवानों निकलो घर से
शंखनाद अब करना होगा
देखो घना कुहासा छाया
कदम संभलकर रखना होगा
वीर शिवा, राणा की ही
तो हम सब संतानें हैं
कायर नहीं , झुके न कभी
हमने परचम ताने हैं |
अबलाओं, बच्चों पर देखो
लाठी आज बरसती
हाथ उठे रक्षा की खातिर
उसको नजर तरसती
जागो समय यही है
फिर केवल पछताना होगा
क्या राणा को एक बार फिर
रोटी घास की खाना होगा
माना मार्ग सुगम नहीं है
दुश्मन अपने ही भ्राता हैं
लेकिन मीरजाफर, जयचंदों को
अब तो सहा नहीं जाता है
ले चंद्रगुप्त सा खड्ग बढ़ो तुम
गुरु दक्षिणा देनी होगी
महलों में मद-मस्त नन्द को
वहीँ समाधि देनो होगी |
चढ़े प्रत्यंचा गांडीव पर फिर
महाकाली को आना होगा
सोये हुए पवन-पुत्रों को
भूला बल याद दिलाना होगा
बापू के पथ पर चलने वाले
हम सुभाष के भी अनुयायी
समय ले रहा करवट अब
पूरब में अरुण लालिमा छाई
आज दधीचि फिर तत्पर है
बूढी हड्डियां वज्र बनेंगी
और तुम्हारे ताबूत की
यही आखिरी कील बनेंगी
सावधान ! ओ सत्ता-निरंकुश
अफजल-कसाब के चाटुकारों
राष्ट्र रहा जीवंत सदा यह
तुम चाहे जितना मारो |
अशोक जी की कविता एक देशभक्त को बहुत भाएगी ..एन ऐसे मौके पर जब देश में बहुत भ्रष्टाचार के खिलाफ जनमानस जागरूक हुवा है... अशोक जी की यह कविता मेरे ब्लॉग में भी आपको मिलेगी ..अमृतरस में अशोक जी की कविता - जागो भारत जागो
जवाब देंहटाएंbahur sundar rachna
जवाब देंहटाएंachhi rachna
जवाब देंहटाएंBahut hi shundar Rachnaye..i like it..
जवाब देंहटाएंअशोक जी ...बहुत ही ओजस्वी आव्हान एवं जागरण गीत...आपकी कलम का जादू दिल को छू लेता है ....आपकी रचनाओं की प्रतीक्षा रहती है मुझे....शुभ कामनाएं एवं हार्दिक अभिनन्दन....सदा जय हो .....
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