आज
एक महीना हुआ
पहाड़ में हुई उस तबाही को
उस मंजर की तस्वीरे
उस त्रासदी के वीडियो
उस विपदा पर बहस
उस राहत पर राजनीति
शायद कुछ दिनों में बंद हो जाए
लेकिन
मेरे पहाड़ पर आपदा
मेरे पहाड़ ने जो सहा
मेरे पहाड़ ने जो देखा
वर्षो वर्षो तक इसका दर्द
दर्द बनकर ही रहेगा
अपनी जमीन अपने लोग
अपने जंगल अपने रास्ते
अपने गाँव अपनी विरासत
जिन्हें हम खो चुके है
मेरा पहाड़ कैसे भूल पायेगा
हाँ
वक्त के साथ फिर निर्माण होगा
मेरा पहाड़ फिर चार धाम होगा
पर्यटकों का फिर आवागमन होगा
मेरे पहाड़ के लोग फिर खड़े होंगे
भूलो को सुधार फिर जीना सीखेंगे
अपनी गलती से सीख फिर
खूबसूरत पहाड़ का निर्माण करेंगे
हाँ
आज श्रधांजलि उन्हें
जो लौट कर न आये
भगवान की शरण गए
और उनके ही हो गए
हे प्रभु
था तो कठोर तुम्हारा निर्णय
किया अपनों को अपने में विलय
बस अब तुम रक्षा करना
कुछ गलत न हो अब ध्यान रखना
सद्बुद्धि दे हमें आशीर्वाद बनाये रखना
-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
मार्मिक-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
शुभकामनायें भी-
दशा सुधरती नहीं पर, धरती धरती धीर |
हौले हौले ही सही, हलकी होगी पीर |
हलकी होगी पीर, नीर अब तक नहिं सूखा |
आहत हुआ शरीर, किन्तु मर जाता भूखा |
कुदरत का कानून, तोड़ते होय हादसा |
सोया देहरादून, दिखे नहिं कहीं दुर्दशा |
पहाड़ों के दर्द को उकेरा है इन शब्दों में ...
जवाब देंहटाएंप्रार्थना स्वीकार हो ।
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