प्रेम पूजन
गंगा सा जो पावन
तुम मूरत
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प्रेम संदेश
हर्षित होता मन
गर्वित भाव
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प्रेम अर्पण
निस्वार्थ लेन देन
तुम दर्पण
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प्रेम स्वछ्न्द
महकती सुगंध
जीता सम्बंध
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प्रेम प्रतिज्ञा
जन्मों का अनुबंध
होती तपस्या
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प्रेम है यज्ञ
त्याग होती आहुति
चाहत स्वाह
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प्रेम स्वालंबी
केवल समर्पण
मूल मंत्र
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