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सोमवार, 30 नवंबर 2020

मेरे किसान

 


मेरे किसान
 
राजनीति की बिछी बिसात में, फंस गया हमारा किसान
बिचौलियों की इस टेढ़ी चाल में, आ गया हमारा किसान
इस कृषि सुधार नीति को, समझ न पाया हमारा किसान
सर्दी में भी दिल्ली किया कूच, गुमराह हुआ हमारा किसान
 
सरल भाषा में समझना होगा, किसी की बातों में न आना
राजनीति ने सदा बढ़ाई खाई है, बिल को तुम समझ लेना
ये वक्त महामारी का है, फैसलों पर तुम विचार कर लेना
ऐतिहासिक किसान बिल है, इसको जीवन - रेखा बना लेना
 
कृषि उपज, व्यापार व वाणिज्य से संबन्धित पहला बिल
जिससे मिलेगी सुविधा, और होगा उत्पादन का संवर्धन
देश की 2,500 एपीसी मंडियां है, राज्यो द्वारा संचलित
सब मंडियों संग, बिन शुल्क देश में मिलेगे तुम्हें विकल्प
 
कृषक कीमत व कृषि सेवा करार है दूसरा किसान बिल
किसानों का सशक्तिकरण व सरंक्षण है इसका विधान
निजी संस्था, एजेन्सियों संग भी, कर पाएंगे समझौता
कीमत का मिलेगा आश्वासन, अब कर पाएंगे अनुबंधन
 
आवश्यक वस्तु संशोधन है, सरकार का ये तीसरा बिल
कुछ वस्तु आवश्यक सूची कानून में, अब किए बदलाव
युद्ध, अकाल स्थिति व अप्रत्याशित उछाल पर सरकार
आवश्यक उत्पादन सूची से कर सकती है उनको बाहर
 
सरकार के व्यक्तव्य को सुनो व समझो, फिर करो ध्यान
न विरोध करो, न करो अन्य राज्यों व लोगों को परेशान
इतने सालों की भ्रष्ट व्यवस्था से, अब निकलो मेरे किसान
अपना हित व आय का सोचो, मत फँसो तुम मेरे किसान
 
-    प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल / ३० नवंबर, २०२०


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