चलिये आरम्भ करते हैं,
नए साल में नया सफर
शब्दों की इस यात्रा में,
अब मौन संग न होगा
कुछ मेरे मन का होगा,
कुछ तेरे मन का होगा
होगा गवाह अब वर्तमान,
सृजनता होगी अब पहचान
शुभ होगा इसका आगाज,
बुलंद होगी अब हर आवाज़
गूंज उठेगा इसका हर शब्द,
सत्य का होगा अब शंखनाद
मेरा चिंतन, चिंतन मेरे मन का,
प्रतिबिम्बित होगा इस पटल पर
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शुभ हो! जय हो! विजय हो!
शुभम
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