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रविवार, 3 जनवरी 2021

आज की सुबह


 



~आज की सुबह~

पूष माह में
झमाझम बारिश के
मधुर आलिंगन से
भीगती मेरी सुबह


कड़कड़ाती बिजली से
दहलता सा आसमां
ज़ोर से धड़कता
ये मेरा दिल

धरती से मिल
सुगंधित है करती
मन रज को
बारिश की बूंदे

हल्के से उभरते
नर्म अहसासों में
चाहत झंकृत होती
गरम साँसो में

गिन रहा हूँ
गिरती बूंदों को
ख्वाइशों में बढ़ती
तेरी चाहत को

सुबह या रात
सर्द हवा की बात
पुकारती तेरा नाम
बारिश की बूंदे

बरस रहे मेघ
रोमांचक तेरा स्पर्श
तेज होता संवेदन
गरम रक्त स्पंदन

आवाहन श्रवण सुभग
मिलन आस प्रतिबिम्बित
देख प्रवाह पुलकित
बारिश की बूंदे

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ०३\०१\२०२१

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