~ सन्देश ~
कोई नहीं धरती पर जो ईश्वर से बड़ा है
मानव घमंड हर बार इसे ले कर उड़ा है
बार - बार यहाँ इंसान प्रकृति से लड़ा है
फिर भी अपनी करतूतों पर वह अड़ा है
प्रकृति ने आज हमें थप्पड़ फिर जड़ा है
तबाही का मंजर फिर दिखाई पड़ा है
रिस रहा जो वो भरा प्रदूषण का घड़ा है
धर्म आस्था सहित "प्रतिबिम्ब" कर्म बड़ा है
पर्यावरण सुरक्षा पर प्रश्न आज भी खड़ा है
सुन लो अभी भी प्रकृति का सन्देश कड़ा है
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