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गुरुवार, 12 नवंबर 2020

बूझो तो जाने ?

 



सबसे बात करता हूँ, मैं बातचीत नहीं करता हूँ

मैं खूब लिखता हूँ, पर पढ़ता किसी को नहीं हूँ

अपनी सुनाता सबको हूँ, मैं सुनता बिल्कुल नहीं हूँ

रखता हूँ अपना रुतबा, समझता किसी को नहीं हूँ

 

अपना ढिंढोरा पीटता हूँ, नाम किसी का भाता नहीं

सोच अपनी ही रखता हूँ, किसी का मैं सोचता नहीं

शब्दों का बना ठेकेदार हूँ, शब्द किसी के चुनता नहीं

सबका बनना चाहता हूँ, किसी को अपना बनाता नहीं

 

किस को जोड़ना किसे छोडना, जांच परख कर लेता हूँ

खुद्गर्जी से रखता हूँ नाता, अपना भला मैं देख लेता हूँ  

प्रेम का बनकर अनुयायी, प्रेम जाल अक्सर बुन लेता हूँ  

करे कोई अगर मेरी निंदा, उससे मैं किनारा कर लेता हूँ

 

मुझे यहाँ - वहाँ तुम ढूंढो, मैं अपनी कहते दिख जाता हूँ

कहो कोई काम तुम मुझे, बहाने तब हज़ार बना लेता हूँ

समय का रखता ख्याल, किसी को मैं समय नहीं देता हूँ

समझ तुम गए हो मुझे अब तक, तुम्हीं बताओ मैं कौन हूँ

 

बताओ मैं कौन?

(खुद में झांकना जरूरी)

 

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल – १२/११/२०२०


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