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रविवार, 8 नवंबर 2020

तनिक ठहरो!

 
 
अहसासों के पहाड़
चढ़ने से पहले
वास्तविक धरातल पर
उसका तुम निरक्षण कर लो
तनिक ठहरो!
 
संचित है जो भाव
उनका आत्ममंथन कर लो
मर्यादित है जो शब्द
उन शब्दों की पुष्टि कर लो
तनिक ठहरों!
 
संशय और शंका का
तुम पहले निवारण कर लो
देख वैभव छल का
प्रतिस्पर्धा से तुम दूरी कर लो
तनिक ठहरो!
 
प्रेम है जो उभरा
पुन: उसका परीक्षण कर लो
होगी स्वीकृति या अस्वीकृति
इसका अवलोकन कर लो
तनिक ठहरों!
 
आग्रह है या आज्ञा
भेद तुम थोड़ा समझ लो
समर्पण से पहले
निष्ठा को धारण कर लो
फिर मत ठहरो !!!!
 
 
-    प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ०८/११/२०२०

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