मन बहुत उतावला होता है। इसमे न जाने कितने सवाल उठते है या जबाब मिलते है। चाहे उनमे मै स्वयं ही घिरा हूं या फ़िर समाज या देश के प्रति मेरी उदासीनता या फ़िर जिम्मेदारी। आप भी मेरी इस कशमकश के साथी बनिये, साथ चलकर या अपनी प्रतिक्रिया,विचार और राय के साथ्। तेरे मन मे आज क्या है लिख दे "चिन्तन मेरे मन का" के पटल पर यार, हर पल तेरी कशिश का फ़साना हो या फ़िर तेरी यादो का सफ़र मेरे यार।
बुधवार, 1 अक्टूबर 2014
When Rajdeep assaulted me: When Rajdeep assaulted me
When Rajdeep assaulted me: When Rajdeep assaulted me: I write this for two reasons: to add context to what is evident from the Zee News video clip https://www.youtube.com/watch? v=54xGasucqAc ...
शनिवार, 26 जुलाई 2014
शहीदों की चिताओ पर ....
कठिन परिस्थितियों संग
जवानो ने दुश्मन के हर वार झेले
देश की आन बान शान के लिए
ये जाबांज जान हथेली पर लेकर चले
दुश्मनों को मुंह तोड़ जबाब देने
ये दिलदार सर पर कफ़न बाँध कर चले
कभी अपनी टुकड़ियों के साथ
मौका मिला तो दुश्मन से लड़ते रहे अकेले
घर परिवार को छोड़ कर
भारत माँ के लिए रण बाँकुरे मरने मिटने चले
शौर्य बलिदान की रख मिसाल
कोई डटा मैदान में, कोई घायल कोई शहीद हो चले
धर्म जात पात की सोच नही
हर सिपाही भारत माँ के सच्चे सपूत बन कर चले
ज़ज्बा तिरंगे की खातिर दिखता है
दुश्मन को मार भगा इसमें लिपट दुनिया छोड़ चले
शहीदों की चिताओ पर
क्या लगते रहेंगे यूं ही हर वर्ष मेले
ख़ास दिन क्यों याद करे इन्हें 'प्रतिबिंब'
आओ रोज उनकी कुर्बानी का अहसास करते चले
सोमवार, 21 जुलाई 2014
लिखना ....
शौक है मेरा लिखना
पढना तो तुम्हे है
समझना भी तुम्हे है
शब्दों और लय को
संगीत तुम्हे देना है
अर्थ और भावार्थ की
दूरी तुम्हे तय करनी है
दर्द या मोहब्बत को
तुम्हे महसूस करना है
अपराध और अपवाद का
भेद तुम्हे करना है
काले अक्षर और सफ़ेद पन्नो पर
रंग तुम्हे भरने है
हाँ यह निर्भर करता है
तुम्हारी उम्र पर
तुम्हारी सोच पर
तुम्हारे ज्ञान पर
तुम्हारे अनुभव पर
तुम्हारी संवेदनशीलता पर
मेरे शब्द जाल सरल है
मेरी सोच की तरह
मेरे नजरिये की तरह
मेरे अल्प ज्ञान की तरह
मेरे खट्टे मीठे अनुभव की तरह
मेरे दिल और दिमाग का
'प्रतिबिम्ब'
तुम्हे अपने मन - मस्तिष्क पर
प्रतिबिंबित करना है
मेरा शौक तो बस लिखना है
शब्दों को आप तक पहुंचाना है
अच्छा या बुरा यह आपको तय करना है
गुरुवार, 20 फ़रवरी 2014
बुधवार, 12 फ़रवरी 2014
'डे' - वेलेंटाइन दिवस पर खास
वेलेंटाइन दिवस की परंपरा 1992 तक भारत में इतनी पकड़ नहीं बना पाई थी. वाणिज्यिक/व्यवसायिक टीवी चैनलों जैसे एम् टीवी , समर्पित रेडियो कार्यक्रमों और प्रेम पत्र प्रतियोगिताओं की वजह से फैला साथ ही इसमें आर्थिक उदारीकरण ने वेलेंटाइन कार्ड के उद्द्योग को बढ़ावा दिया. इसके बाद ही यह बदलाव देखा गया कि आम जानता के बीच में अपने प्रेमका इजहार आम हुआ. इसका असर यह हुआ कि जो बाते प्रेम की व्यक्तिगत होती थी और चारदीवारी के भीतर ही उसकी पवित्रता को संजो कर रखा जाता था, अब उसे लोग पश्चिम सभ्यता की तरह सरे आम प्रदर्शित करने में हिचकते नही. ये उद्द्योग का ही असर है कि हम हर रिश्तो को अब दिनों में भुनाना सीख गए है. घर पर माँ - पिता, भाई - बहन, पति - पत्नी का आदर/प्रेम करे या न करे लेकिन पब्लिक/जनता में खूब प्रचार प्रसार किया जाता है. अब माध्यम भी इतने हो गए है कि नैतिक बाते हो चाहे रिश्ते अब केवल दिखावे का सामान बन कर रह गए है.
चंद पंक्तियाँ 'डे' [day] से प्रेम पर
'डे'
भूले अपनी संस्कृति, खुद को 'डे' में उलझा दिया
हर रिश्तो को हमने अब, केवल 'डे' में बदल दिया
प्रेम व् पवित्रता की सीमा तोड़, 'डे इवेंट' बना दिया
पश्चिम को अपना बना, दिलो को अब 'डे' बना दिया
हर दिन है जिसका, उसको अब 'डे' में सीमित किया
तोड़ कर धागा एकता का, 'डे' से गठबंधन कर लिया
'दिवस' याद किसको 'प्रतिबिंब', 'डे' से जो दोस्ती हुई
गरिमा भावो व् रिश्तो की अब बनकर 'डे' झुलस रही
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
मंगलवार, 21 जनवरी 2014
'आप' की मेहरबानियाँ
अन्ना का लेकर समर्थन, आन्दोलन का फिर श्रीगणेश किया
भ्रष्टाचार जनलोकपाल था मुद्दा, जिसमे
जनता का साथ पाया
देख उमड़ी भीड़,भावुक जनता से खेलने का फिर ख्याल आया
दिखा ठेंगा अन्ना को, सत्ता पाने का सुन्दर हमने अवसर पाया
चाल किसी की व् सोच किसी की, लेकिन रणनीति अपनी
बनाई
आन्दोलन व् धरना खूब किया, सोचा अब तो सत्ता की चाबी पाई
कोसा जिसे दिन रात उसका ही सहयोग पा दिल्ली
की सत्ता पाई
किए खोखले वादे जनता से, कैसे बचे इसकी हमने
जुगत जुडाई
कांग्रेस ने गरीबो के भावो से खेला, हमने
उस नफ्ज को पकड़ लिया
देखी जिस में राष्ट्रहित की सोच, उस रथ
को दिल्ली में अब रोक लिया
देश को युग पुरुष न मिलजाए, इसलिए लोकसभा लड़ने
का सोच लिया
दिल्ली में रणनीति अपने पर भारी, इसलिए
धरना का हमने सोच लिया
गुमराह किया जनता को वादों से, कांग्रेस
भाजपा को सत्ता पाने से रोक दिया
वादों के लिए जनता देख रही, लेकिन हमने देश पर
राज का सपना देख लिया
कर नही सकते, हो नहीं सकते पूरे ये वायदे, यह हमने कुछ दिन में समझ लिया
बिजली पानी का लोलीपोप थमा लोगो को, कांग्रेस
भाजपा को हमने कोस दिया
मैं अराजक तत्व हूँ अब एलान किया, देश जाए भाड में मंत्रियो का बचाव किया
गणतंत्र दिवस का बना कर मजाक, तोड़ कर क़ानून जनता
को परेशान किया
घमंड, जिद्द और अड़ियलपन को अपना, अराजकता का रास्ता
हमने दिखा दिया
जनता को भड़काना अब हमारा काम, विद्रोह आदत अब तो
'आप' ने दिखा दिया
प्रतिबिम्ब
बड़थ्वाल
बुधवार, 1 जनवरी 2014
नव वर्ष मंगलमय हो !
२०१४ मंगलमय हो लेकिन यह भी ध्यान रहे !!!
ग्रेगोरियन कैलेंडर का आ गया नया साल
हर बार की तरह होगा आयोजन बेमिसाल
खुशियाँ मना, शुभकामनाएं देते है हर बार
नए साल का उत्साह देखते ही बनता है यार
भूले हम, विक्रम सवंत है हमारा नया साल
संस्कृति और परम्पराओ का हुआ बुरा हाल
पाश्चात्य संस्कृति अपना, आधुनिक कहलाते
संस्कारो का कर तिरस्कार, भारतीय कहलाते
हर धर्म का मान कर, खुद से न हम खुद दूर करे
अच्छाई हर मार्ग की अपना, खुद को हम मजबूत करे
अपवादों से लड़, अपनी परम्पराओ का सम्मान करे
माडर्न दिखने हेतू, अपनी संस्कृति का न अपमान करे
आने वाल नव वर्ष शुभ हो, सुख का सब रस पान करे
नव विक्रम सवंत के दिन भी, सब मिल आयोजन करे
नई सोच के संग, संस्कृति संस्कारो का उल्लेख करे
मैं भारतीय ये मेरी पहचान, आओ खुद पर हम गर्व करे
-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
गुरुवार, 21 नवंबर 2013
ये दुनियां ....
अँधेरे बहुत है
उजाले कम है
यहाँ
थोड़ी खुशियाँ है
जुड़े कितने गम है
कितने बेबस हम है
वक्त की कसौटी
मांग रही हौसला
लेकिन
अंग अंग बिखरा सा
तन मन बोझिल सा
रोम रोम सिसकता सा
कांटो की सेज सजी
पल पल चुभता है
अब
फूल एक कोने में
खड़ा मुस्कराता है
ज़ख्म हरा करता है
मेरे अस्तित्व को
रोज रोज ठेस लगती है
दुनिया
मंद मंद मुस्काती है
तमाशा देखती जाती है
बहती गंगा में हाथ धो जाती है
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
बुधवार, 20 नवंबर 2013
जलता कौन नही है
कोई गम की आग में
कोई कर्म की कसौटी पर
कोई इर्ष्या की तपन में
कोई शीर्ष की देहलीज पर
कोई प्रेम अगन में
कोई अहंकार की गरमी पर
कोई दुशमनी की आँच में
कोई भ्रम के धुएं पर
कोई क्रोध की ज्वाला में
कोई अपनों की बेवफाई पर
कोई वक्त की आँच से
कोई दुनिया से रुखसत होने पर
लौ इस दिए की
शायद कुछ कह रही है
जलना है तो ऐसे 'प्रतिबिंब'
खुद जल रोशन दुनिया करो
-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
रविवार, 17 नवंबर 2013
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