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सोमवार, 8 जुलाई 2013

मेरा पहाड़




मेरा पहाड़
है भूमि देवो की
मेरा पहाड़
है विरासत संस्कृति की,
मेरा पहाड़
है कहानी संस्कार की
मेरा पहाड़
है मिसाल मानवता की

मेरा पहाड़ और उसका दिल
आज रोता है
मेरा पहाड़ और उसका हौसला
टूटा है
मेरा पहाड़ और उसका सम्मान
गिरा है
मेरा पहाड़ और उसका भगवान
रुष्ट है

मेरे पहाड़ को
अपनों ने तोडा और मरोड़ा है
देख लिया नतीजा
अब शमशान बना कर छोड़ा है
राजनीति का खेल
इंसानियत ने यहाँ दम तोडा है
डूब गए ख्वाब
लेकिन अभी जीना नही छोड़ा है

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

शनिवार, 29 जून 2013

मैं पहाड़



मैं पहाड़


हाँ मैं पहाड़ !!
यूं तो पहाड़
हर जगह  विद्दमान है
मेरी खूबसूरती और मौसम
मनुष्य के मन को
शांति और सुकून देती है
शायद इसलिए
तुम्हारी आस्था के भगवान भी
सदियों से यहाँ विराजमान है ......

लेकिन समय के साथ
विकास के नाम पर
मेरे सीने पर इन्सान ने
विनाश की इबारत बना दी है
भगवान के नाम पर
न जाने कितने भगवान
मुझ पर बेहिसाब लाद दिए
पर्यटन के नाम पर
बेहिसाब दुकान और होटल
मुझे खोखला कर रहे है

जंगल और पेड़ मेरा अस्तित्व
आज विकास की भेंट चढ़ गए
नदियों से मेरा जीवन
जिसके किनारो को तुमने हड़प लिया
हे मानव !! अपने जीने के लिए
तुम क्यों मेरा जीना दुश्वार कर रहे


उत्तराखंड !! हाँ ये देव भूमि है
मैंने सैकड़ो देवी देवताओं को
अपने में है  स्थान दिया
शांति पहाड़ो का आचरण है
शोर से तुमने खलल डाला है
हे मानव !! तुम्हारे स्वार्थ ने
मुझे आज फिर छलनी किया
बना कर पाप का भोगी मुझे
देवी - देवताओ को रुष्ट किया
नदियों के प्रवाह से खेलना महंगा पड़ा
कई गाँव, घर और जानो को समां दिया  

ना चाहते हुए भी, कई बार तुम्हे
तुम्हारी गलती का अहसास कराया था
तुमने न सबक लिया न कोई प्रयास किया
बार बार फिर वही काम और बेहिसाब  किया
दुःख है मुझे कि तुम्हे इस बार सबक सिखाने
निर्दोष भी, भक्त भी मेरे गुस्से का शिकार हुए
शायद यह नुकसान तुम्हे याद दिलाता रहे
और तुम खुद को  और मुझे अब जीने दोगे.....




प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 

शनिवार, 22 जून 2013

बाबा विनती तुझसे ....



बाबा इस कहर में भी, तेरा अस्तित्व आज यूं ही कायम है
जता दिया तूने आज भगवान और इंसान में अंतर क्या है
गलती जिसने भी की, दंड उसका तूने सबको दे ही दिया है
ली तूने बलि हजारो की, तेरे सिवाय वहां अब बचा क्या है

मंदाकनी के क्रुध प्रवाह को रोक तूने खुद को बचा लिया
खुद के मान सम्मान को तूने हमारी श्रद्दा से तोल दिया
कुछ को दी जिंदगी, कुछ को तूने अपनों से छीन लिया
लाखो करोडो भक्तो का तूने, श्रद्धा-विश्वास हिला दिया

श्रद्धा में शायद कमी हुई, दिखावा क्योंकि अब ज्यादा है
पवित्र स्थलों में प्रदूषण और चोर बाजारी अब ज्यादा है
प्रकृति व् पर्यायवरण को रख ताक, तेरा नाम भुनाया है
जंगल नदियों से खिलवाड़ का सबको सबक सिखाया है

अब रहम करना और इस कहर से तू सबको बचा लेना
हुई जो गलतियाँ हमसे, सुधार उन्हें तू रास्ता दिखा देना
प्रकृति व् भगवान का रिश्ता समझे अब तू शरण में लेना
अब रूठना नहीं यूं , हर विपदा से बाबा तू हमें बचा लेना

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 

शुक्रवार, 14 जून 2013

ताजा खबर - आम आदमी



मोदी की जय जयकार से आडवाणी जी को चढा बुखार
नितीश को लगा झटका, न सुनी भाजपा ने उसकी पुकार
मोदी है वो कदम जो सत्ता तक ले जाये, ये हुआ संचार
सोचा गठ बंधन में पहले मजबूत करे हम अपना आधार

मान गए थोड़ा आडवाणी, भाजपा को कुछ राहत हुई
मान मनोवल से मना लिया, पर साख कुछ आहत हुई
जदयू ने कुछ गणित किया, तेवर दिखलाने शुरू किए
देश की नही सोच अभी भी, विपक्ष को सबने शस्त्र दिए

अल्पसंख्यंक के नाम पर संप्रदायिकया को भुनाते हैं सब
इतने वर्षो में अल्पसंख्यंकों का उद्दार किस ने किया कब
वोट बैंक है गरीब और अल्पसंख्यंक, इंका भला होगा कब
इसे भुनाने और जीतने की खातिर ख्याल आता है जब तब

साख लिपटी घोटालो मे, मुंह काला किया कोयले की दलाली मे
सीना चौड़ा, मुंह मे कडवे बोल, हुये बेशर्म राजनीति के खेल मे
भाजपा का भी कांग्रेसी करण हुआ आज निजी स्वार्थ के क्षेत्र मे
देश की सोच कहीं पीछे छूटी, लड़ते हैं अपना अस्तित्व बचाने में

मैं आम आदमी, रोटी कपड़ा और मकान के लिए करता काम
सोच रहा हूँ किस दिन कोई नेता, दिल से लेगा हमारा नाम
एमएलए/एमपी का फंड मिलता उन्हे, कब करेंगे हमारे नाम
वोट देते एक आस में, मिले रहने को छत, भूख मिटे सुबह शाम

- प्रतिबिंब बड़थ्वाल 

गुरुवार, 6 जून 2013

डॉ माधुरी बड़थ्वाल और लोक संगीत - एक परिचय

डॉ माधुरी बड़थ्वाल और लोक संगीत - एक परिचय 



ज मुझे आप मित्रो से डॉ माधुरी बड़थ्वाल का परिचय करवाते हुये हर्ष हो रहा है।

ढाई वर्ष की उम्र से संगीत, सुरों और नृत्य से प्रेम करनी वाली छोटी बालिका आज किसी परिचय की मोहताज तो नही लेकिन मेरा प्रयास इस नाम को उन सब लोगो तक पहुँचाने का है जो इस व्यक्तित्व से परिचित नही थे मेरी तरह।

डॉ. माधुरी बड़थ्वाल जी ( जन्म 19 मार्च 1953 ) आल इंडिया रेडियो की प्रथम महिला म्यूज़िक कम्पोजर है। उन्होने बड़े पैमाने पर उत्तराखंड के लोक संगीत (गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी) के प्रचार, पलेखन और सरंक्षण के लिए पिछले 45 सालो से निरंतर कार्य किया है। उन्होने इसके लिए बड़ी मात्रा मे भ्रमण कर उत्तराखंड के हर उम्र के कलाकारो को पहचाना। सैकड़ो विद्यार्थियो को उन्होने सिखाया भी और निर्देशित भी किया। उन्होने उत्तराखंड के दुर्लभ वाद्य यंत्रो को दस्तावेज़ के रूप मे सँजोया भी है और उन्होने परम्पराओ को अपनी सोच के साथ सहेजने का प्रयास किया है। उन्होने लोक संगीत के साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत को मिश्रित किया है। डॉ माधुरी ने उत्तराखंड के कई पुराने और अंजान कलाकारों जैसे जमुना देवी, भगीरथी देवी, बसन्ती देवी को भी रिकोर्ड किया है
लोकगायक चन्द्र सिंह राही के साथ           व्      पारंपरिक वेश भूषा मे डॉ माधुरी बड़थ्वाल 

५ साल की उम्र मे ताऊ जी की कही बात को दिल पर लेकर, उनके द्वारा दिये गए एक आने को वहीं रखकर, परिश्रम को हथियार बनाकर ज़िंदगी मे आगे बढ़ने की सोच और भाई बहनो को पढ़ाई के लिए प्रेरित करना उन्होने मकसद बना लिया। प्रकृति के सुरमय सहज व अनुशासित नगर लैन्सडाउन मे अपनी शिक्षा की शुरुआत की। पिता श्री चंद्रमणि उनियाल [गायक व सितारवादक भी] ने समाज की विपरीत टिप्पणियॉ को नज़र अंदाज करते हुये प्रयाग संगीत समिति मे विधिवत संगीत की शिक्षा दिलाई। डॉ माधुरी ने हाई स्कूल करते ही अपनी मेहनत के बलबूते संगीत प्रभाकर की डिग्री हासिल कर ली और फिर  अपने ही विद्यालय राजकीय इंटर कालेज लैंसडाउन मे संगीत अध्यापिका के पद पर कार्य किया। प्रथम गुरु श्री गणेश केलकर, गुरु श्री ज्वाला प्रसाद गुरु श्री मकसूद हुसेन [सारंगी वादक] से संगीत और राग रागिनियों की बारीकियों का अध्ययन किया। उन्नति के मार्ग पर अग्रसर माधुरी जी को आकाशवाणी नजीबाबाद मे प्रथम महिला म्यूज़िक कम्पोजर [ तत्कालीन केंद्र निदेशक श्री एस के शर्मा के अनुसार ] के रूप मे अखिल भारतीय स्तर पर पहचान मिली। इस दौरान माधुरी जी ने सैकड़ो संगीत, नाटको और रूपको का कुशल निर्देशन, लेख्न और निर्माण किया। नानी जी, ताई जी व माता जी से के साथ कई बुज़र्गों के द्वारा गढ़वाली भाषा [मुहावरे, लोकोक्तियाँ, लोकगीतो लोक गाथाओ व कथाओं ] का गूढ ज्ञान विरासत रूप मे प्राप्त किया और वही हिन्दी मे स्नातकोर करने के साथ ही संगीत और साहित्य का अनूठा रिश्ता बनाता चला गया। ।

डॉ मनु राज शर्मा व् डॉ माधुरी बड़थ्वाल 

पति डॉ मनुराज शर्मा [ जो संगीत के मर्मज्ञ थे] गढ़मोला गाँव पौड़ी,  की प्रेरणा से शोध कार्य [उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर] मे स्वयं को तल्लीन कर और पांडुलिप्पी तैयार की।  नजीबाबाद से प्रसारित धारावाहिक 'धरोहर' का सृजनात्मक प्रसारण किया जिसमे उनके द्वारा संग्रहित धरोहर का उपयोग हुआ और पुनमूर्ल्याकन भी हुआ। इसी बीच ३ अक्तूबर २००३ मे डॉ मनुराज ने माधुरी जी का साथ छोड़ परलोक सिधार गए। कठिनतम और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, पति की मृयु के तीन बाद ही स्टुडियो मे बैठ 'धरोहर' का निर्माण किया - डॉ मनुराज का स्नेह और उनकी प्रेरणा ने ही उनमे यह आत्मविश्वास बनाए रखा। परिवार मे ज्येष्ठ सतीश चंद्र बड़थ्वाल जेठानी चन्द्रकला बड़थ्वाल व भतीजी नीरा बड़थ्वाल ने इस वक्त पर उन्हे और परिवार को मनोबल दिया। अपने शोध कार्य के लिए उन्हे बहुत लोगो का साथ मिला जिसमे उनके परिवार के सदस्य ससुर श्री संतन बड़थ्वाल [पूर्व विधायक], पुत्री येन्नी मदालसा, पुत्र मानस मनु और मानवेन्द्र मनु का योगदान सराहनीय है


अब डॉ माधुरी बड़थ्वाल संगीत को अपनी संस्था ' मनु लोक सांस्कृतिक धरोहर संवर्धन संस्थान'  के माध्यम से सँजोये रखने के प्रयास मे कार्यरत है समर्पित है । डॉ माधुरी लोक संगीत पर शोध करने वाले देश और विदेशो के शोध विद्यार्थियों का मार्ग दर्शन करती है। संस्कृति विभाग में लोक कलाकारों को सूचीबद्ध करने में डॉ माधुरी ने निर्णायक भूमिका निभाई। आज भी उन्हें आल इण्डिया रेडियो या उत्तराखंड के कई आयोजनों को मुख्य अतिथि के रूप में निवेदन किया जाता है निमंत्रित किया जाता है। नारी सशक्तिकरणके लिए उनके प्रयास व् कार्य सराहनीय है।


उत्तराखंड के संगीत व लोक संगीत की धरोहर के लिए कार्यरत डॉ माधुरी बड़थ्वाल जी को कोटि कोटि प्रणाम और हमारी शुभकामनायें।
उत्तराखंड के सुर सम्राट नरेंद्र सिंह नेगी जी के साथ [ फोटो सौजन्य डॉ माधुरी बड़थ्वाल]

चलते चलते सुनिए सुर सम्राट नरेंद्र सिंह नेगी जी के साथ गाया डॉ माधुरी जी का ये गीत 'स्याली बसंती'



प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

बुधवार, 1 मई 2013

मजदूरी मेरा हक़




अपने पेट की खातिर, तुम हम पर आश्रित हो
हमारा पेट काटकर तुम लाखो करोडो कमाते हो
हमारी आवाज़ को हर बार अनुसना कर जाते हो  
सोचो हमारे खून पसीने का क्या मोल लगाते हो 

सरकार हो या जनता उपेक्षा हमारी करती है 
चर्चा हमारी कर लेकिन नाम अपना करती है 
हर संस्था अपने लिए हमारा प्रयोग करती है 
पैसो के बल पर हमारा ही वो शोषण करती है  

भले मजदूर दिवस पर एक शब्द न कहना 
भले मजदूर दिवस पर एक चित्र न लगाना 
भले मजदूर दिवस पर एक दुआ न करना 
बस मजदूरी मेरा हक़ तुम समय पर दे देना 

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 



रविवार, 10 मार्च 2013

बम बम भोले



(महाशिवरात्रि पर सभी मित्रो को बधाई एवं शुभकामनाएं)

शिव के हर रंग  निराले, बोलो बम बम भोले 
भभूत का ये लेप लगाते, बोलो बम बम भोले 

तन नीला नीलाम्बर कहलाते, बोलो बम बम भोले 
रुद्राक्ष और नाग इनके आभूषण, बोलो बम बम भोले 

डमरू, त्रिशूल, नंदी इनके साथी, बोलो बम बम भोले
तीसरी आँख से शत्रु  हैं डर जाते, बोलो बम बम भोले

कालो के काल ये बन जाते, बोलो बम बम भोले 
दुखियो की ढाल ये बन जाते, बोलो बम बम भोले 

गंगा इनकी जटाओ से बहती, बोलो बम बम भोले 
माँ पार्वती संग इनके ही रहती, बोलो बम बम भोले

अमृत कर दान विष खुद पी जाते, बोलो बम बम भोले 
ब्रह्मा, विष्णु संग सृष्टी के सरंक्षक, बोलो बम बम भोले 

रूद्र रूप में तांडव नृत्य करते, बोलो बम बम भोले
रावण राम जैसे भक्त है इनके, बोलो बम बम भोले

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

याद





मन में उभरते भाव
छेड़ देते है कोई घाव
किया जिससे किनारा
वही उस पल का सहारा

भूले बिसरे गीत जो बने
गुनगुना लेते है कभी उन्हें
नए बोल नए सुर से सजा
जीने का बहाना ढूंढ लेते है

बीता पल बिछड़ जाता है
आज से फिर मिल जाता है
कल के सुख की खातिर
आज को जीना भी जरुरी है

भूल जाते है लोग जिन्हें
याद करते है केवल उन्हें
जो साथ है हर पल 'प्रतिबिंब'
क्यों करे फिर याद उन्हें

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013

~ उधेड़बुन ~




उधेड़बुन
न जाने कितने
फटे पुराने विचारो को
फिर से अपनाना चाहती है

सुई रूपी हौसले से
आस रुपी धागे का
अस्तित्व को बचाने
एक जाल बनता जाता है  

अपने ही लोगो में
अपनी पुरानी तस्वीर दिखाता
अपने अस्तित्व का ऐलान करता 
अब भीड़ से अलग दिखता हूँ

जिंदगी की दौड़ में
नए ज़माने के दौर में
पुराना कब तक सहेज सकूंगा
उधेड़बुन अब भी ज्यों की त्यों है

-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 

शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013

नसीब




नसीब अपना - अपना 
आप हकीकत हम सपना 
आपके माई बाप, हम अनाथ
आपके महल, हमारा फुटपाथ

न भूख सहने को रोटी है 
न तन ढकने को वस्त्र है 
न कोई सुध हमारी लेता है 
न कोई अब हमें अपनाता है 

मिल जाये खाने को तो खा लेते है 
न मिले तो कहीं भूखे पेट सो लेते है 
मेरे सपनो को बस आँख मूँद देख लेता हूँ 
रहने को जमी और छत आसमा बन जाता है 

मैं चर्चा का विषय हर मंच पर बन जाता हूँ 
तस्वीरे दिखाते आप मैं सहानूभूति बन जाता हूँ 
क्या नेता, अब तो जनता भी हमें भुनाना जानती है 
हकीकत से दूर लेखो तस्वीरो में वाह वाह लूट ले जाते है 

आप तो पीते बोतल का पानी, हम गंदा पी, जी लेते है 
आपकी फेंकी बोतल से भी चप्पल का जुगाड़ कर लेते है 
महंगे रेस्टोरेंट में खाकर आप, 'टिप्स' खूब वहाँ दे कर आते है 
हमने फैलाये हाथ तो कर्म करने की आप नसीहत हमे दे जाते है 

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 


(यह चित्र https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/ "तस्वीर क्या बोले" समूह में पेश किया था  जिसे  पुन: ब्लॉग तस्वीर क्या बोले में भी प्रेषित किया गया था )



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